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सिर्फ 10 हजार रुपए में लें इस ट्रैकिंग के मजे, एडवेंचर में नहीं आएगी कोई कमी

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हर की दून ट्रैक हिमालय की खूबसूरत घाटियों में बसा है। यहां की हरियाली, बर्फ से ढकी चोटियां और शांत बहती नदियां एक अलग ही सुकून देती हैं। ट्रैकिंग के दौरान आपको स्वर्गारोहिणी, ब्लैक पीक और बंदरपूंछ जैसे शानदार पहाड़ों की झलक मिलेगी। अगर आप शहरी भीड़भाड़ और प्रदूषण से दूर कुछ दिनों के लिए प्रकृति के करीब रहना चाहते हैं, तो यह ट्रैक एक बेहतरीन विकल्प है। यहां की ताजी हवा और मनमोहक नजारे आपको एक नई ऊर्जा देंगे।

अगर आपको ट्रैकिंग या रोमांच पसंद है, तो हर की दून आपके लिए एकदम सही जगह है। इस ट्रैक की कुल लंबाई करीब 50 किलोमीटर है और इसे पूरा करने में 5-7 दिन लगते हैं। रास्ते में आपको घने जंगल, ग्लेशियर से निकलने वाली नदियां, पुराने लकड़ी के पुल और खूबसूरत पहाड़ी गांव देखने को मिलते हैं। यह ट्रैक मध्यम स्तर का माना जाता है, यानी यह ज्यादा मुश्किल नहीं है, लेकिन इसके लिए थोड़े धैर्य और फिटनेस की जरूरत होती है।

दिल्ली से हर की दून ट्रैक का बेस कैंप संकरी है, जहां पहुंचने के लिए आपको पहले देहरादून से जाना होगा। अगर आप कम बजट में यात्रा करना चाहते हैं, तो प्राइवेट टैक्सी और फ्लाइट जैसी महंगी चीजों से बचें। दिल्ली से देहरादून के लिए ट्रेन या सरकारी बस लें। ट्रेन का स्लीपर कोच का टिकट 200-300 रुपये में मिल जाता है, जबकि बस का किराया 400-600 रुपये होगा। देहरादून से संकरी के लिए शेयरिंग टैक्सी लें, जिसका किराया 500-700 

सांकरी में होटल और होमस्टे महंगे हो सकते हैं। कम बजट में ट्रेक पूरा करने के लिए ढाबों के ऊपर बनी डॉरमेट्री या होमस्टे में ठहरें, जिसका किराया 200-300 रुपये प्रति रात हो सकता है। ट्रेकिंग के दौरान गांवों में स्थानीय होमस्टे का विकल्प चुनें, जहां आपको 300-500 रुपये में खाना और रहना दोनों मिल सकता है। इस तरह पूरे ट्रैक के लिए रहने का खर्च 1500-2000 रुपये में तय हो सकता है।

अगर आप होटल और बड़े ढाबों में खाते हैं, तो खर्च बढ़ जाएगा। इसलिए देहरादून से ही कुछ ड्राई फ्रूट्स, इंस्टेंट नूडल्स और एनर्जी बार खरीद लें, जिसकी कीमत 500-800 रुपये हो सकती है और ट्रेक के दौरान काम आएगी। सांकरी और ट्रेकिंग रूट पर स्थानीय ढाबों में 100-150 रुपये में खाना मिल जाता है।

हर की दून ट्रैक के लिए सरकारी परमिट की आवश्यकता होती है, जिसे उत्तराखंड वन विभाग से प्राप्त करना होता है। यदि आप किसी ट्रैकिंग एजेंसी से गाइड लेते हैं, तो इसका खर्च 3000-5000 रुपये तक हो सकता है। इस खर्च को बचाने के लिए अपना परमिट खुद बनवाएं और गाइड शेयरिंग में लें। इसके अलावा स्थानीय ग्रामीणों से रूट की जानकारी लेकर भी ट्रैक पूरा किया जा सकता है।

हर की दून में बहुत महंगे गियर की जरूरत नहीं होती। यदि आपके पास अपने ट्रैकिंग शूज, टेंट और स्लीपिंग बैग हैं, तो उन्हें अलग से किराए पर लेने की जरूरत नहीं है। यदि आपको खरीदना ही है, तो आप स्थानीय बाजार से सेकेंड हैंड या किराए पर सस्ते गियर ले सकते हैं। बड़े ट्रैकिंग स्टोर की बजाय पहाड़ी बाजार या देहरादून की स्थानीय दुकानों से गर्म कपड़े और जरूरी सामान खरीदें। इससे आपके गियर का खर्च 1000-1500 रुपये तक कम हो कता है।

परिवहन: ₹2500-3000
रहना: ₹1500-2000
भोजन: ₹2000-2500
परमिट और गाइड: ₹500-1000
ट्रेकिंग गियर: ₹1000-1500
कुल लागत: ₹8000 - 10,000
अगर आप स्थानीय बसें, शेयरिंग टैक्सी और अपना खुद का टेंट लेते हैं, तो लागत और भी कम हो सकती है। उचित योजना के साथ, यह पूरा ट्रैक 10,000 रुपये के भीतर आराम से किया जा सकता है।

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