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'को नहीं जानते हैं जग में प्रभु संकट मोचन नाम तिहारो'इस वायरल फुटेज में करें इस चमत्कारी हनुमान मंदिर के पावन दर्शन

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर राजस्थान के जयपुर से लगभग 65 किलोमीटर दूर है। यह मंदिर एक हजार साल पुराना बताया जाता है। यहां एक विशाल चट्टान पर हनुमान जी की आकृति अपने आप उभर आई। खास बात यह है कि यहां...
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राजस्थान न्यूज डेस्क् !! मेहंदीपुर बालाजी मंदिर राजस्थान के जयपुर से लगभग 65 किलोमीटर दूर है। यह मंदिर एक हजार साल पुराना बताया जाता है। यहां एक विशाल चट्टान पर हनुमान जी की आकृति अपने आप उभर आई। खास बात यह है कि यहां प्रेत बाधा से पीड़ित लोगों की जान ली जाती है। इन्हें यहां लोहे की जंजीरों से बांधकर रखा गया है। कहा जाता है कि मुगल काल में इस मंदिर को तोड़ने की कई कोशिशें हुईं लेकिन सफल नहीं हो सके।

भारत में भगवान हनुमान के कई प्रमुख मंदिर हैं। इन्हीं प्रमुख मंदिरों में से एक है मेहंदीपुर बालाजी मंदिर। धार्मिक मान्यता है कि मेहंदीपुर बालाजी मंदिर दैवीय शक्ति का घर है। इस मंदिर में मंगलवार और शनिवार को विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है। इस मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ रहती है। लोग दूर-दूर से भगवान हनुमान जी के दर्शन के लिए आते हैं और भगवान हनुमान से अपनी मन्नत पूरी होने की प्रार्थना करते हैं। भगवान भी अपने भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं. ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर में भगवान हनुमान को चढ़ाया गया प्रसाद घर नहीं ले जाया जाता है।

हनुमानजी भगवान शंकर के 11वें अवतार हैं

हिंदू धर्म में भगवान हनुमान को शक्ति का प्रतीक माना जाता है। ये वो देवता हैं जिनके मंदिर अक्सर हर जगह पाए जाते हैं। हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार भगवान शंकर के ग्यारहवें रूद्र अवतार हनुमान जी की कलियुग में सबसे अधिक पूजा की जाती है। इसलिए हनुमानजी को कलियुग का जीवित देवता कहा जाता है।

बालाजी हनुमान मंदिर, मेहंदीपुर (राजस्थान)

बालाजी हनुमान मंदिर मेहंदीपुर में स्थित है। मेहंदीपुर राजस्थान के दौसा जिले के पास दो पहाड़ियों के बीच स्थित है। यह मंदिर जयपुर से लगभग 65 किमी दूर जयपुर-बांदीकुई-बस मार्ग पर स्थित है। कहा जाता है कि यह मंदिर करीब 1 हजार साल पुराना है। ऐसा माना जाता है कि यहां की चट्टान पर स्वयं हनुमान जी की आकृति उभर आई थी। इस आकृति को हनुमान जी का रूप माना जाता है।

यहां हनुमान जी जागृत अवस्था में विराजमान हैं

मेहंदीपुर बालाजी हनुमान मंदिर भगवान के दस प्रमुख सिद्धपीठों में गिना जाता है। कहा जाता है कि इस स्थान पर हनुमान जी जागृत अवस्था में विराजमान हैं। यह भी माना जाता है कि अगर किसी भक्त पर भूत-प्रेत का साया है तो वह इस मंदिर में आने से दूर हो जाता है।

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