Samachar Nama
×

China से दूरी बना रहा कोलंबो, मजबूत रक्षा सहयोग के साथ करीब आए India, Sri Lanka

China से दूरी बना रहा कोलंबो, मजबूत रक्षा सहयोग के साथ करीब आए India, Sri Lanka
एशिया न्यूज डेस्क !!!भारतीय सेना प्रमुख जनरल एम.एम. नरवणे की श्रीलंका की पांच दिवसीय यात्रा को नई दिल्ली और कोलंबो के बीच रक्षा सहयोग को आगे बढ़ाने के तौर पर देखा जा रहा है।

भारत के लिए श्रीलंका प्राथमिकता वाला रक्षा साझीदार है और वह इस साझेदारी को मजबूत करना चाहता है। श्रीलंका रक्षा संबंधों को लेकर भारत के लिए एक प्रथम प्राथमिकता वाला देश है और नरवणे ने रक्षा भागीदार के रूप में नई दिल्ली की प्रतिबद्धता को मजबूत किया है।

दोनों देश क्षेत्रीय सुरक्षा मुद्दों पर भी सहयोग करने पर विचार कर रहे हैं।

भारत और श्रीलंका के बीच रिश्तों में पहले से अधिक प्रगति देखने को मिल रही है। इस साल की शुरुआत में, भारतीय उच्चायोग ने श्रीलंका को रक्षा क्षेत्र में अपना प्राथमिकता वाला भागीदार बताया था, क्योंकि दोनों देशों ने श्रीलंका वायु सेना की 70वीं वर्षगांठ का जश्न मनाया था। भारत ने भारतीय वायुसेना और भारतीय नौसेना से बड़ी संख्या में विमानों के साथ भव्य आयोजन में भाग लिया था।

भारतीय और श्रीलंकाई सेनाएं इस समय 12 दिवसीय सैन्य अभ्यास कर रही हैं। दोनों देशों के बीच बढ़ते रक्षा सहयोग के संकेत में, दोनों देशों की नौसेनाओं ने पिछले महीने संयुक्त रूप से अभ्यास किया था। श्रीलंकाई नौसेना ने पिछले सप्ताह जापानी नौसेना के साथ भी सैन्य अभ्यास किया था।

श्रीलंकाई अखबार द आइलैंड ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है, नरवणे क्षेत्र में सबसे बड़े द्विपक्षीय सैन्य अभ्यासों में से एक, मित्र शक्ति अभ्यास के भी गवाह बनेंगे। वह मुख्य अतिथि के रूप में गजबा दिवस समारोह में भी भाग लेंगे। जनरल का डीएससीएससी, बटालांडा में एक भाषण देने और छात्रों और शिक्षकों के साथ बातचीत करने का भी कार्यक्रम है।

श्रीलंका में अपने दूसरे दिन, भारतीय सेना प्रमुख ने दोनों देशों के बीच रक्षा संबंधों को मजबूत करने के लिए श्रीलंका के रक्षा सचिव जनरल कमल गुणरत्ने (सेवानिवृत्त) और जनरल शैवेंद्र सिल्वा से मुलाकात की। नरवणे ने इंडियन पीस कीपिंग फोर्स (आईपीकेएफ) के शहीद हुए भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि भी दी।

मनोहर पर्रिकर इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस (आईडीएसए) की रिसर्च एनालिस्ट गुलबिन सुल्ताना ने इंडिया नैरेटिव को बताया, श्रीलंका ने महसूस किया है कि वह भारत की उपेक्षा नहीं कर सकता है। वह निश्चित रूप से नई दिल्ली के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने के प्रयास कर रहा है।

सुल्ताना आगे कहती हैं कि इसका मतलब यह नहीं हो सकता कि श्रीलंका पूरी तरह से चीन से दूर जा रहा है। उन्होंने कहा, श्रीलंका एक बड़े आर्थिक और विदेशी मुद्रा संकट का सामना कर रहा है। उसे सहायता की आवश्यकता है और उसने महसूस किया है कि वह खुद को दुनिया से अलग नहीं कर सकता है और अपनी जरूरतों के लिए अकेले चीन पर निर्भर नहीं रह सकता है।

कुछ ही दिनों पहले श्रीलंका ने पश्चिमी कंटेनर टर्मिनल के लिए एक भारतीय फर्म को सभी महत्वपूर्ण कोलंबो बंदरगाह को लेकर अनुबंध दिया है, जिसने भारत, जापान और चीन के निवेश से जुड़े विवाद को समाप्त कर दिया।

इसी तरह, सितंबर में उसने कोलंबो के पास एक तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) टर्मिनल बनाने के लिए एक अमेरिकी ऊर्जा कंपनी के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।

पिछले कुछ महीनों में श्रीलंका की विदेश नीति की धारणाओं में एक अलग बदलाव आया है, क्योंकि यह भारत के करीब है और चीन के चंगुल से खुद को निकालने की कोशिश कर रहा है। चीन के साथ संबंध कोलंबो के लिए कर्ज के जाल में फंसे हुए हैं, क्योंकि वह हंबनटोटा बंदरगाह के लिए बुनियादी ढांचे के ऋण का भुगतान नहीं कर सका है, जिसके परिणामस्वरूप चीन ने बंदरगाह को 99 साल के लिए पट्टे पर ले लिया।

सुल्ताना कहती हैं, कोलंबो भारत, अमेरिका और यूरोपीय संघ (ईयू) तक पहुंच स्थापित कर रहा है। वह समझने लगा है कि अमेरिका और यूरोपीय संघ बड़े निर्यात बाजार हैं, इसलिए, वह खुद को अलग-थलग करने का जोखिम नहीं उठा सकता है।

कोलंबो आर्थिक समर्थन और सैन्य संबंधों के लिए भारत-प्रशांत क्षेत्र में लोकतांत्रिक देशों के साथ अपने संबंधों को बहाल कर रहा है।

नरवणे राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे, प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे, रक्षा सचिव, विदेश सचिव और वरिष्ठ रक्षा अधिकारियों से भी मुलाकात करेंगे।

सेना प्रमुख की यात्रा विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला की पिछले सप्ताह श्रीलंका यात्रा के बाद हो रही है, जब राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने भारत को आश्वासन दिया था कि कोलंबो इस तरह से कार्य नहीं करेगा, जो भारत के हितों के लिए हानिकारक हो।

चाइना न्यूज डेस्क !!!   

--इंडियानैरेटिव

एकेके/एसजीके

Share this story