एनएआई के अनुसार, 15 अगस्त को काबुल के तालिबान के हाथों में पड़ने के बाद से 70 प्रतिशत से ज्यादा अफगान मीडियाकर्मी बेरोजगार हो गए हैं या देश छोड़कर चले गए हैं। रिपोटरें से यह भी पता चला है कि तालिबान के 100 दिनों के शासन के दौरान, अज्ञात सशस्त्र लोगों के हमले, विस्फोट, आत्महत्या और यातायात की घटनाओं सहित विभिन्न घटनाओं में 6 पत्रकारों ने अपनी जान गंवाई है। तालिबान के नेतृत्व वाली इस्लामिक अमीरात सरकार के अधिकारियों ने बार-बार कहा है कि वे मीडिया की उपलब्धियों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं।
टोलो न्यूज की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस्लामिक अमीरात के मीडिया संचालन के सिद्धांतों की दो सूचियों में उल्लेखित प्रतिबंधों पर चिंता जताई जा रही है। अफगानिस्तान इंडिपेंडेंट जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन के प्रमुख हुजतुल्लाह मुजादेदी के हवाले से कहा गया है, एक हालिया बयान के मुताबिक जिसमें आठ लेख हैं, जिसमें उप मंत्रालय ने चिंता जताई है। हमें उम्मीद है कि मीडिया के साथ परामर्श से इस मुद्दे को सुलझा लिया जाएगा। अफगानिस्तान नेशनल जर्नलिस्ट्स यूनियन के मीडिया अधिकारी मसरूर लुत्फी ने कहा, हम आग्रह करते हैं कि सूचना तक पहुंच और मीडिया कानून, जिनका अभी उपयोग नहीं किया जा रहा है, उनमें मौजूदा स्थिति के आधार पर और मीडिया के परामर्श से बदलाव किया जाए।
--आईएएनएस
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