भारत की आजादी में महान स्वतंत्रता सेनानी सरदार वल्लभभाई पटेल का बहुत बड़ा योगदान रहा है. उनका जन्मदिन देश भर में राष्ट्रीय एकता दिवस के तौर पर मनाया जाता है.
सरदार वल्लभभाई पटेल को लौह पुरुष का खिताब मिला. चलिए जानते हैं आखिर उन्हें लौह पुरुष की उपाधि, किसने और कब दी थी?
केवल भारत की आजादी ही नहीं बल्कि आजादी के बाद भी भारत को एक राष्ट्र बनाने में योगदान रहा है.
15 अगस्त 1947 को हमारा देश आजाद हो गया. लेकिन आजादी के बाद भारत में कई देसी रियासते थी. जिसे भारत में मिलाना था.
ये जिम्मेदारी सरदार बल्लभ भाई पटेल को मिली और उन्होंने बहुत ही बखबू से 552 रियासतों को भारत में जोड़कर अखंड भारत का निर्माण किया.
552 रियासतों को मिलाने के बाद कुछ ऐसी रियासते भी थी जो भारत का हिस्सा नहीं बनना चाहती थी, जिसपर काफी विवाद भी हुआ. उन तीन रियासतों के नाम हैं हैदराबाद, जूनागढ़ और जम्मू-कश्मीर.
सरदार वल्लभ भाई पटेल ने 14 राज्य और 6 केंद्र शासित प्रदेश को भारत के साथ जोड़ा और एक अखंड भारत का निर्माण किया. इस काम से खुश होकर गांधी जी ने पटेल को लौह पुरुष का खिताब दिया.
सरदार पटेल की लोकप्रियता के चलते कांग्रेस कमेटी ने नेहरू का नाम प्रस्तावित नहीं किया और पटेल पूर्ण बहुमत से पार्टी के अध्यक्ष बन गए लेकिन पार्टी में विच्छेद की संभावना को खत्म करने के लिए गांधी जी ने सरदार पटेल को प्रधानमंत्री पद से पीछे हटने को कहा।
उस समय पटेल के सामने सबसे बड़ी चुनौती देसी रियासतों का भारत में विलय था। छोटे बड़े राजाओं, नवाबों और रजवाड़े खत्म करते हुए उन्हें भारत सरकार के अधीन करना आसान नहीं था लेकिन बिना किसी जंग के सरदार पटेल ने 562 रियासतों का भारत संघ में विलय कराया।