कांचीपुरम की साड़ियों का इतिहास और फैशन काफी पुराना है। यह साड़ियां कभी आउटडेटेड नहीं हो सकती हैं। इसे बहुत ही शुद्ध रेशम के धागों से बनाया जाता है। अपनी शादियों में दुल्हन यह साड़ी पहनती हैं। आइए, जानते हैं आखिर क्यों कांचीपुरम की सिल्क साड़ियां फेमस हैं
तमिलनाडु के कांचीपुरम गांव में कांजीवरम साड़ियों का निर्माण होता है। इन साड़ियों में मुगल प्रेरित डिजाइन देखने को मिलते हैं। कांजीवरम साड़ियों को खास तौर पर रंगीन धागों और जरी का इस्तेमाल करके बनाया जाता है
कांचीपुरम की कांजीवरम साड़ियां अपनी बनावट, चमक और खूबसूरती की वजह से दुनियाभर में काफी फेमस है। इसकी बुनाई बहुत ही बारीकी से की जाती है।
इन साड़ियों में इस्तेमाल होने वाला कपड़ा सबसे बेहतरीन कपड़ों में से एक माना जाता है। इसे बनाने की तकनीक और प्रक्रिया में सदियों से कोई बदलाव नहीं किया गया है
शहतूत के रेशमी धागों से बनने वाली कांजीवरम साड़ी को हाथ से बुना जाता है। इसमें शुद्ध सोने या चांदी की जरी का काम होता है। जिसकी वजह से यह काफी महंगी भी होती हैं।
कांचीपुरम की साड़ियों का उल्लेख हिंदू पौराणिक कथाओं में भी मिलता है। इन साड़ियों में उच्च गुणवत्ता की रेशम का इस्तेमाल किया जाता है।
दक्षिण भारतीय शादियों में कांचीपुरम की साड़ियों को पहनने का काफी महत्व है। शादी या त्यौहार के मौके पर महिलाएं इन साड़ियों को काफी पहनती हैं
कांचीपुरम की साड़ी को भारत सरकार द्वारा साल 2005-06 में जीआई टैग भी मिल चुका है।