लोकसभा व विधानसभा की 33% सीटें महिला आरक्षण विधेयक के बाद महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी।
इसमें ओबीसी, एससी-एसटी और एंग्लो-इंडियन के लिए 33% आरक्षण होगा।
सीटों का आरक्षण हर आम चुनाव के बाद रोटेट किया जाएगा।
महिलाओं का प्रतिनिधित्व लोकसभा में 15% और विधानसभाओं में 10% से भी कम है।
महिला आरक्षण विधेयक 27 साल से लंबित रहा है, 2010 में इसे पास कराने का प्रयास हुआ, लेकिन नहीं हो सका।
महिला आरक्षण की समर्थक कांग्रेस और बीजेपी दोनों हैं, लेकिन कुछ पार्टियां कोटा में ओबीसी और एससी-एसटी के लिए आरक्षण को चाहती थीं।
महिला आरक्षण विधेयक के अनुसार, संसद और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी सीटों को आरक्षित हो जाएंगी
ये संविधान के 85 वें संशोधन का विधेयक है। इसके अंतर्गत लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी सीटों पर आरक्षण का प्रावधान रखा गया है।
पहली बार इस विधेयक को एचडी देवगौड़ा के नेतृत्व वाली लोकसभा में 1996 में पेश किया गया था। तब भी सत्तारूढ़ पक्ष में एक राय नहीं बन सकी थी।