हिंदू धर्म में एकादशी व्रत को बेहद खास माना जाता हैं जो कि हर महीने पड़ती हैं लेकिन सभी एकादशी व्रतों में निर्जला एकादशी सबसे अधिक महत्वपूर्ण मानी जाती हैं इस दिन विष्णु पूजा करने से उत्तम फलों की प्राप्ति होती हैं।
पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी के नाम से जाना जाता हैं जो कि इस बार 31 मई दिन बुधवार को किया जाएगा। इस दिन व्रत पूजन करने से प्रभु का आशीर्वाद मिलात हैं।
पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का आरंभ 30 मई की दोपहर 1 बजकर 7 मिनट पर हो रहा है और समापन 31 मई को दोपहर 1 बजकर 45 मिनट पर होगा। ऐसे में निर्जला एकादशी का व्रत 31 मई को किया जाएगा।
एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें इसके बाद साफ वस्त्र धारण कर व्रत पूजन का संकल्प करते हुए भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विधिवत पूजा आराधना करें।
एकादशी के दिन व्रत पूजन के साथ साथ कुछ नियमों का भी पालन जरूर करना चाहिए मान्यता है कि अगर ऐसा करते हैं तो व्रत पूजन का पूर्ण फल मिलता हैं और ईश्वर की कृपा भी बनी रहती हैं।
सभी एकादशियों में चावल का सेवन वर्जित माना गया हैं ऐसे में अगर आप निर्जला एकादशी का व्रत कर रहे हैं या नहीं कर रहे हैं तो भी इस दिन चावल का सेवन ना करें।
विष्णु पूजा में तुलसी को बेहद जरूरी माना गया हैं लेकिन एकादशी के दिन तुलसी के पत्तों को तोड़ना अच्छा नहीं होता हैं ऐसे में एकादशी से एक दिन पहले ही आप तुलसी के पत्ते तोड़ कर रख लें।
निर्जला एकादशी के दिन भूलकर भी प्याज, लहसुन, मांस मदिरा का सेवन भूलकर भी नहीं करना चाहिए अगर कोई ऐसा करता हैं तो उसे भगवान विष्णु का क्रोध सहना पड़ेगा।
निर्जला एकादशी के दिन भूलकर भी किसी पर क्रोध नहीं करना चाहिए और ना ही मन में किसी के प्रति बुरे विचार रखने चाहिए। ऐसा करने से व्रत पूजन का पूर्ण फल नहीं मिलता हैं।