गणेश चतुर्थी का त्योहार हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर मनाया जाता है इस बार यह पर्व 19 सितंबर से आरंभ हो चुका है जो कि पूरे दस दिनों तक चलेगा। इसका समापन अनंत चतुर्दशी पर होगा।
उत्सव के पहले दिन भक्त श्री गणेश को अपने घर लेकर आते हैं और उनकी विधिवत पूजा करते है। इस दिन गणेश जी का स्वागत धूमधाम के साथ किया जाता है।
आपको बता दें कि यह महोत्सव का मुख्य दिन माना जाता है जिसे चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भक्त गणपति की पूजा आराधना कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते है।
तीसरे दिन भक्तगण भगवान गणेश से विशेष प्रार्थना करते हैं और आरती के साथ ही कहीं कहीं पर अनुष्ठान भी करने की विशेष पंरपरा होती है।
इस दिन भगवान श्री गणेश से विशेष प्रार्थना की जाती है इसके साथ ही बप्पा की आरती, भजन का आयोजन होता है इसके बाद प्रसाद का वितरण भी किया जाता है।
पांचवें दिन "षोडशोपचार पूजा" करते हैं और गणपति की विशेष प्रार्थना करते है इस प्रक्रिया का महत्व सबसे अधिक माना गया है मान्यता है कि इस दिन पूजा पाठ से प्रभु की अपार कृपा मिलती है।
इस दिन को "षष्ठी" के रूप में मनाया जाता है इस दिन भक्त अपने घरों में विशेष प्रार्थना और आरती करते हैं। इस दिन दान का भी महत्व होता है।
आपको बता दें कि सातवें दिन भक्तगण श्री गणेश की "सप्तपदी" की क्रिया करते हैं इस दिन भगवान की विशेष पूजा साधना की जाती है।
आठवें दिन को "अष्टमी" के रूप में मनाया जाता है इस दिन विशेष प्रार्थना, आरती होती है साथ ही गणपति को मोदक और उनकी प्रिय चीजें अर्पित की जाती है।
नोवें दिन "नवपत्रिका पूजा" पूजा की जाती है इसमें नौ पौधों की विधिवत पूजा कर श्री गणेश की की साधना आराधना करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
इस दिन को गणेश उत्सव का आखिरी दिन माना गया हैं इस पावन दिन पर गणपति की प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है। बप्पा की पूजा अर्चना के बाद उनकी धूमधाम से विदाई की जाती है।