मुंशी प्रेमचंद की जयंती पर जाने इनके वो उपदेश जो बनायेगें महान

दौलत से आदमी को जो सम्मान मिलता है, वह उसका नहीं उसकी दौलत का सम्मान है

मासिक वेतन पूरनमासी का चांद है जो एक दिन दिखाई देता है और घटते घटते लुप्त हो जाता है

मैं एक मज़दूर हूँ। जिस दिन कुछ लिख न लूं, उस दिन मुझे रोटी खाने का कोई हक नहीं

विजयी व्यक्ति स्वभाव से, बहिर्मुखी होता है। पराजय व्यक्ति को अन्तर्मुखी बनाती है

खाने और सोने का नाम जीवन नहीं है, जीवन नाम है- आगे बढ़ते रहने की लगन

सौभाग्य उन्हीं को प्राप्त होता है, जो अपने कर्तव्य पथ पर अविचल रहते हैं

चिंता काली दीवार की भांति चारों ओर से घेर लेती है, वहां से निकलने की फिर गली नहीं सूझती

चापलूसी का ज़हरीला प्याला

चापलूसी का ज़हरीला प्याला आपको तब तक नुकसान नहीं पहुँचा सकता, जब तक कि आपके कान उसे अमृत समझ कर पी न जाएं​

महान व्यक्ति महत्वाकांक्षा के प्रेम से बहुत अधिक आकर्षित होते हैं

जिस प्रकार नेत्रहीन के लिए दर्पण बेकार है उसी प्रकार बुद्धिहीन के लिए विद्या बेकार है

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