भारत का आखरी स्टेशन जहां से पैदल पहुंच सकते हैं विदेश

रेलवे स्टेशन

भारत में ऐसे कई रेलवे स्टेशन हैं जिनक नाम आपने नहीं सुने होंगे। कई रेलवे स्टेशन के नाम बहुत फनी हैं तो, एक स्चेशन तो ऐसा भी है जो अंग्रेजों के जमाने से चल रहा है। जी हां, इस स्टेशन का नाम सिंहाबाद है और आज हम आपको इसी से जुड़े कुछ फैक्ट्स बताने जा रहे हैं -

बांग्लादेश की सीमा पर स्टेशन

भारत का आखिरी रेलवे स्टेशन सिंहाबाद बांग्लादेश की सीमा से लगा हुआ है। यहां अब मालगाड़ियों का ट्रांजिट किया जाता है।

पैदल जाते हैं घूमने

ये स्टेशन पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के हबीबपुर में है। ये बांग्लादेश की सीमा के इतना पास है कि लोग पैदल ही घूमने चले आते हैं।

कब शुरू हुई ट्रेन

978 के बाद से ही इस जगह पर ट्रेन का आना-जाना शुरू हुआ। आजादी के बाद भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के बाद से यहां सब कुछ बंद हो गया था।

खाद का होता है निर्यात

यहां से बड़ी मात्रा में बांग्लादेश से नेपाल को खाद का निर्यात किया जाता है। इन्हें लेकर जाने वाली मालगाड़ियों की खेप रोहनपुर सिंहाबाद ट्रांजिट प्वाइंट से होकर निकलती हैं।

कार्डबोर्ड की टिकट

यहां कार्डबोर्ड की टिकट रखी हुई है। ऐसी टिकट अब किसी रेलवे स्टेशन पर देखने को नहीं मिलती। यहां सिग्नल से लेकर मशीन तक सब कुछ अंग्रेजों के जमाने का है। 

गुजरती हैं सिर्फ दो ट्रेन

यहां से यात्रियों के लिए सिर्फ दो ट्रेन गुजरती हैं। इन्हें साल 2008 में शुरू किया गया था। यहां आज भी लोग ट्रेन रुकने का इंतजार करते हैं।

स्टेशन पर लिखा है कुछ खास

सिंहाबाद स्टेशन के बार्ड पर 'भारत का अंतिम स्टेशन' लिखा हुआ है। इस रूट को गांधी और सुभाष चंद्र बोस ढाका जाने के लिए इस्तेमाल करते थे।

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अगर आप भी अंग्रेजों के जमाने के किसी रेलवे स्टेशन के बारे में जानना चाहते हैं तो, सिंहाबाद स्टेशन से जुड़े फैक्ट्स के बारे में जानें। स्टोरी अच्छी लगी हो तो लाइक और शेयर करें।

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