Aurangzeb की बेटी कैसे बन गईं कृष्ण भक्त?

औरंगजेब

औरंगजेब से जुड़ी कई प्रसिद्ध कहानियां हैं। ऐसी ही एक कहानी उनकी बेटी राजकुमारी जेबुन्निसा की भी है। औरंगजेब की बेटी एक बहुत ही अच्छी शायरा थीं जो अक्सर अपने पिता जी से छुपकर महफिलों और मुशायरों में जाती थीं।

पढ़ाई में थीं होशियार

जेबुन्निसा का पढ़ने में काफी मन लगता था। उन्हें दर्शन, भूगोल व इतिहास जैसे विषयों में महारत हासिल थी। इनके फ़ारसी कवि गुरु हम्मद सईद अशरफ़ मज़ंधारानी थे।

जेबुन्निसा की मंगनी

जेबुन्निसा की मंगनी उनके चचेरे भाई सुलेमान शिकोह से हो चुकी थी। लेकिन सुलेमान की कम उम्र में मौत हो जाने की वजह से दोनों की शादी नहीं हो सकी।

जेबुन्निसा की पढ़ाई में लगन

जेबुन्निसा ने कम उम्र में लाइब्रेरी की बड़ी-बड़ी किताबें पढ़ डाली थीं। किताबें खत्म होने के बाद जेबुन्निसा के लिए बिहार से किताबें मंगवाई गईं।

महफिलों में गईं जेबुन्निसा

साहित्य में महारत हासिल करने वाली जेबुन्निसा को महफिलों और मुशायरों में बुलाया जाने लगा। लेकिन उनके पिता औरंगजेब इसके सख्त खिलाफ थे।

जेबुन्निसा की कविताएं

जेबुन्निसा अपनी कविताएं फारसी में लिखा करती थीं। इसके साथ ही वे अपने असली नाम की जगह मख़फ़ी नाम से कविताएं लिखती थीं।

जेबुन्निसा की पोशाक

जेबुन्निसा मुशायरों में जाने पर सफेद पोशाक और उसके साथ सफेद मोती पहनती थीं। मोती उनका सबसे पसंदीदा रत्न था। उनकी एक खास कुर्ती थी जिसे अन्याया कुर्ती कहते थे।

जेबुन्निसा की प्रेम कहानी

जेबुन्निसा को महफिल के दौरान हिंदू बुंदेला महाराज छत्रसाल से प्रेम हो गया था। उनकी औरंगजेब से कट्टर दुश्मनी थी। इसलिए, वे अपनी बेटी से नाराज हो गए थे।

जेबुन्निसा बनीं कृष्ण भक्त

औरंगजेब ने इस वजह से उन्हें सलीमगढ़ क़िले में नज़रबंद करवा दिया। उम्रकैद की सजा के दौरान वे श्री कृष्ण भक्त हो गईं और भक्ति में डूबकर उन्होंने 20 सालों में 5000 रचनाएं लिखीं।

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