महाभारत से है नाता
मान्यता है कि द्वापर युग में दुर्योधन ने पांचों पांडवों और उनकी माता कुंती को जीवित जलाने के लिए यहीं लाक्षागृह का निर्माण किया था
इस मंदिर में चट्टान पर मौजूद हैं मां पार्वती के पैरों के निशान. बेहद प्राचीन है यह मंदिर
मान्यता है कि द्वापर युग में दुर्योधन ने पांचों पांडवों और उनकी माता कुंती को जीवित जलाने के लिए यहीं लाक्षागृह का निर्माण किया था
इस मंदिर के भीतर भगवान कार्तिकेय, भगवान गणेश, भगवान विष्णु और हनुमान जी की मूर्तियां हैं. यहां शिवलिंग भी मौजूद है.
इस मंदिर का नाम लाखामंडल शिव मंदिर है. यहां अब भव्य शिव मंदिर है.
इसका निर्माण 12-13वीं सदी का माना जाता है
लाखामंडल के पुरावशेषों को सबसे पहले साल 1814-15 में जेम्स बेली फ्रेजर ने खोजा था. यह मंदिर समुद्रतल से 1372 मीटर की ऊंचाई पर है
लाखामंडल गांव देहरादून से 128 किमी दूर है. यहां वह गुफा आज भी मौजूद है, जिससे होकर पांडव सकुशल बाहर निकल आए थे.
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने लाखामंडल को ऐतिहासिक धरोहर घोषित किया हुआ है.