अकबर का जन्म अमरकोट (सिंध) के किले में 15 अक्टूबर, 1542 को हुआ। उसकी माता हमीदाबानू बेगम और पिता हुमायूंं थे।
हुमायूं अकबर को कंधार ले गए लेकिन उन्हें अकबर को वहीं छोड़कर फारस जाना पड़ा। अकबर काबुल के किले में अपने चाचा कामरान की देखरेख में रहा
अकबर जब 4, 4 महीने और 4 दिन का हुआ तो उसकी पढ़ाई शुरू कराई गई। अकबर को पढ़ने लिखने का तो ज्यादा शौक नहीं था।
इतिहासकार आंद्रे विंक बताते हैं कि उसे पढ़ाने की हर कोशिश नाकाम हुई। हुमायूं ने खुद की फारसी में लिखी कविताएं भी भेजीं लेकिन अकबर नहीं पढ़ा।
अकबर ने शिक्षा नहीं ली लेकिन उनसे अपनी मूल भाषा तुर्की और फारसी सीख ली। उसने फारसी आलिमों से चित्रकारी सीखी।
अकबर ने अपने गुरु बैरम खाँ से छुटकारा पाने के लिए उसे बर्खास्त कर कैदी बनाया और सत्ता हासिल की।
अकबर की समझ में किताबी ज्ञान नहीं आता था। वह अनपढ़ का अनपढ़ ही रहा।
आइन-ए-अकबरी में इस बात का जिक्र है कि अकबर के सामने हर शाम किताबें पढ़ी जाती थीं ताकि सुनकर उसे कुछ ज्ञान हो।
अकबर ने किताबी ज्ञान नहीं लिया लेकिन उसने बचपन से ही मिलिट्री ट्रेनिंग ली।