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वायरल वीडियो में देखें दुनिया की उस एकलौती मस्जिद की कहानी, जहां की दीवारों पर आज भी लगा है करोड़ों का सोना

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राजस्थान का लखनऊ कहलाने वाला शहर टोंक भारत ही नहीं बल्कि विश्वभर में अपनी हवेलियों, मंदिर, मस्जिद और मीठे खरबूजों के लिए प्रसिद्ध है। बनास नदी के किनारे बसे इस शहर को पश्तून मूल के नवाब मोहम्मद अमीर खान ने सन सत्रह सौ छियालीस से सन अठारह सौ चौंतीस के बीच बसाया था। मुस्लिम नवाबों की रियासत रहने के चलते इस शहर में उर्दू फारसी अदब और तहजीब का कुछ अधिक बोलबाला है। राजस्थान के रोमांटिक शायर अख्तर शीरानी का शहर टोंक अपने लम्बे चौड़े इतिहास और कल्चर के अलावा अपनी शाही जामा मस्जिद के लिए भी विश्वभर में पहचाना जाता है, तो आईये आज के इस वीडियो में हम आपको लेकर चलें इसके अद्भुत सफर पर 

राजस्थान के टोंक में स्थित जामा मस्जिद सिर्फ राजस्थान ही नहीं बल्कि भारत की सबसे बड़ी और खूबसूरत मस्जिदों में से एक है। इस अद्भुत मस्जिद का निर्माण भारत में मुस्लिम शासन के दौरान हुआ था। हालाँकि, इसे अपनी असली पहचान साल अठारह सौ अठारह में अंग्रेजों के टोंक को जिला घोषित करने के बाद मिली। इस दौरान टोंक के संस्थापक और नवाब अमीर अली खान ने अपनी रियासत में शिक्षा, कला और वास्तुकला पर खासा जोर दिया, जिसके चलते इस शहर में कई प्रसिद्ध महलों, इमारतों, हवेलियों और धार्मिक स्थलों का निर्माण हुआ। वास्तुकला के इन्हीं अद्भुत उदहारणों में से एक शाही जामा मस्जिद है, जो उस समय पूरे भारत के लिए वास्तु और कलात्मकता का एक भव्य नमूना बनी। टोंक की जामा मस्जिद का निर्माण नवाब अमीर खान ने हिजरी सन बारह सौ चौवालीस में शुरू करवाया था, जो नवाब वजीरूद्दौला के ज़माने में साल बारह सौ उनासी के करीब बन कर तैयार हुई। टोंक की जामा मस्जिद की वास्तुकला को मुख्य रूप से दिल्ली की जामा मस्जिद से मिलता-जुलता बनाया गया है, हालाँकि दोनों के बीच एक मुख्य अंतर हौज यानी जलाशय का है। दिल्ली की जामा मस्जिद में इस हौज का निर्माण परिसर के बिलकुल मध्य में किया गया है, जबकि इसके विपरीत टोंक की जामा मस्जिद में इसका निर्माण एक कोने में किया गया है। 

टोंक की इस अद्भुत मस्जिद का निर्माण दो सड़कों के संगम पर किया गया है, जिसका एक भाग नवाब के महल की ओर जाता है तो दूसरा कोटा- जयपुर की ओर। मस्जिद की वास्तुकला की बात करें तो इसका निर्माण पूरी तरह से मुगल और राजपूत स्थापत्य शैली में किया गया है। इसके निर्माणकर्ताओं ने इसे एक शांतिपूर्ण और नवाबी चिन्ह के रूप में दर्शाने के लिए इसका निर्माण एक काफी ऊंचे चबूतरे पर किया है। इस मस्जित के पूर्वी भाग में लगभग सात फीट ऊँचा प्रवेश द्वार बनाया गया है, जिसके दोनों तरफ दो छोटी मीनारें सुरक्षा की दृष्टि से सुशोभित हैं। दक्षिण पश्चिमी कोने में स्थित मस्जिद के हौज का उपयोग वजू के लिए किया जाता है, जबकि इसके दूसरी ओर आदगी के लिए एक विशाल बरामदे का निर्माण करवाया गया है। मुख्य द्वार के अलावा मस्जिद के उत्तरी भाग में नौ मीनारों से सुसज्जित एक विशाल द्वार और पश्चिमी भाग में एक छोटे द्वार का निर्माण किया गया है। मस्जिद के मुख्य प्रार्थना कक्ष को सफ़ेद संगमरमर से बनाया गया है, जिसके चारों ओर दिल्ली की जामा मस्जिद और अन्य इस्लामी इमारतों की तरह पवित्र कुरान की आयतें खुदी हुई हैं। इस जामा मस्ज़िद का अन्दरूनी हिस्सा और दीवारें स्वर्ण चित्रांकन और मीनाकारी से सुसज्जित हैं, जो कि इस मस्जिद की आंतरिक सुन्दरता को और बढ़ा देता है। इसी के साथ यहां बाहर की तरफ काफी दूर से नजर आने वाली बड़ी बड़ी चार विशाल मीनारे हैं, जिन्हें दूर से देख कर मस्जिद की पहचान हो जाती है। सब कुछ मिला कर इसकी रमणीय जटिलता और बनावट इसे एक अलग ही रूप देती है।

भारत की सबसे बड़ी और सुंदर मस्जिदों में से एक इस मस्जिद में इबादतगाह सहित चार विशाल मीनारें अपनी ऊँचाई और सुन्दर वास्तुकला के लिए एक अलग ही पहचान रखती है। यहां की मीनारें इतनी ऊँची हैं कि पुराने समय में इन्हें काफी दूर से देखकर ही मस्जिद का पता लगाया जा सकता था। इस मस्जिद के सबसे बड़े आकर्षणों में से एक यहां मुगल शैली में निर्मित चार दरवाजे और मस्जिद की मुख्य ईमारत पर स्थापित तीन गुम्बद हैं, इन्हें दिल्ली व आगरा के मुगल बादशाहों के महलों की तर्ज पर यहां सुशोभित किया गया है। यहाँ की स्थापत्य कला की बात करें तो इस मस्जिद में सोने चाँदी व नीलम पन्नों के रंग से की गई आकर्षक व मनोहारी बेलबूटों की चित्रकारी एक ही नजर में आपको मोहित कर लेगी। दीवारों पर बने ये सुनहरे चित्र और मीनाकारी इस मस्जिद की सुंदरता को कई अधिक गुना तक बढ़ा देते हैं।

अगर आप भी टोंक की शाही जामा मस्जिद घूमने का प्लान बना रहे हैं तो आप यहां रोड, हवाई और रेल मार्ग में से किसी से भी यात्रा करके आसानी से पहुंच सकते हैं। ट्रेन से यहां पहुंचने के लिए सबसे करीबी रेलवे स्टेशन टोंक रेलवे स्टेशन हैं जो यहां से करीब 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। हवाई मार्ग से यहां पहुंचने के लिए सबसे निकटतम हवाई अड्डा जयपुर में लगभग 95 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। बस या सड़क मार्ग से यहां पहुंचने के लिए सबसे करीबी बस अड्डा टोंक बस स्टेशन है, जो यहां से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। तो दोस्तों ये थी भारत की सबसे बड़ी और सुंदर मस्जिदों में से एक जामा मस्जिद, वीडियो देखने के लिए धन्यवाद, अगर आपको यह वीडियो पसंद आया तो प्लीज कमेंट कर अपनी राय दें, चैनल को सब्सक्राइब करें, वीडियो को लाइक करें, और अपने फ्रेंड्स और फेमिली के साथ इसे जरूर शेयर करें।

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