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Rishikesh बूढ़ी आंखों की देखभाल के लिए गांव में रह रहे दो परिवार

Rishikesh बूढ़ी आंखों की देखभाल के लिए गांव में रह रहे दो परिवार

उत्तराखंड न्यूज़ डेस्क !!! 86 वर्षीय गोली देवी और 90 वर्षीय कलावती देवी की आंखों पर पथराव हुआ। लेकिन भेलडुंग गांव आज तक विकास की पहली सीढ़ी पर नहीं चढ़ पाया है। सड़क, पानी और बिजली की कमी के कारण गांव के अधिकांश परिवार पलायन कर चुके हैं। गांव में केवल दो परिवार हैं जो इन दोनों बुजुर्गों की देखभाल के लिए यहां रह रहे हैं। यमकेश्वर प्रखंड के फलदाकोट ग्राम पंचायत के टोक भेलडुंग गांव में कभी 35 से 40 परिवार रहते थे। अब स्थिति यह हो गई है कि गांव में चार परिवार ही बचे हैं। इनमें से दो परिवारों में दो बुजुर्ग महिलाएं रह रही हैं। ये दोनों परिवार उन महिलाओं की देखभाल के लिए गांव में रह रहे हैं। ये परिवार आज भी मूलभूत सुविधाओं के अभाव में जीवन यापन कर रहे हैं। ग्रामीणों रवींद्र कुमार जुगलन और प्यारेलाल जुगलन ने बताया कि पय्यानखाल लक्ष्मणझूला से महज 30 किमी दूर है। उनका गांव यहां से करीब डेढ़ किमी दूर है। गांव में सड़क की सुविधा नहीं है। पीने के पानी की भी किल्लत है। मार्च अप्रैल, मई और जून में ग्रामीणों को प्राकृतिक स्रोतों से पानी लाना पड़ता है। बच्चों को पढ़ाई के लिए 8 किमी दूर दीउली जाना पड़ता है। मूलभूत सुविधाओं के अभाव में ग्रामीण एक-एक कर गांव से पलायन कर गए। गांव में दो बुजुर्ग महिलाएं हैं। जिनके कोई संतान नहीं है। जिससे वो महिलाएं गांव में ही रह रही हैं। इन महिलाओं की देखभाल के लिए गांव में दो परिवार रह रहे हैं। लेकिन इन परिवारों ने भी शहर में अपना ठिकाना बना लिया है। वे केवल इन बुजुर्गों की देखभाल करने के लिए हैं। आजादी के बाद उत्तराखंड एक अलग राज्य बना। कई विधायक और कई सांसद बदले। लेकिन आज तक भेलडुंग गांव का स्वरूप नहीं बदला है। अगर गांव में विकास नहीं हुआ तो वह दिन दूर नहीं जब यह गांव खंडहर में तब्दील होकर वन्य जीवों का ठिकाना बन जाएगा।

ऋषिकेश न्यूज़ डेस्क !!! 

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