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Rishikesh संस्कृत को आम बोल-चाल की भाषा बनाने पर जोर दिया

Rishikesh संस्कृत को आम बोल-चाल की भाषा बनाने पर जोर दिया

उत्तराखंड न्यूज़ डेस्क !!! राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद, उत्तराखंड ने संस्कृत साहित्य में विज्ञान पर दो दिवसीय राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का शुभारंभ किया। संगोष्ठी में उत्तराखंड सहित 9 राज्यों के प्रवक्ता भाग ले रहे हैं, जो संस्कृत भाषा सहित अन्य विषयों पर शोध पत्र प्रस्तुत करेंगे। पहले दिन संस्कृत के उदय के साथ-साथ ज्ञान-विज्ञान आदि पर चर्चा हुई। बुधवार को जयराम आश्रम के सभागार में आयोजित संगोष्ठी का उद्घाटन मुख्य अतिथि उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय हरिद्वार के कुलपति प्रो. देवी प्रसाद त्रिपाठी ने किया। उन्होंने कहा कि भाषा और बोलने की कला संस्कृत है। इसलिए इसे आम आदमी की भाषा बनाएं, जिससे आने वाली युवा पीढ़ी संस्कृत भाषा में पारंगत हो सके। संस्कृत एक प्रयोगशाला-सिद्ध विज्ञान है। विभागाध्यक्ष एससीईआरटी प्रदीप रावत ने कहा कि संस्कृत कर्मकांड की भाषा है। उन्होंने संस्कृत को आम बोलचाल की भाषा बनाने पर जोर दिया। एससीईआरटी के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. आरडी शर्मा ने कहा कि संस्कृत का उत्थान तभी संभव है, जब संस्कृत के शिक्षक भी संस्कृत बोलें। पहले दिन चार सत्र हुए। इस अवसर पर डॉ. शशि शेखर मिश्रा, डॉ संजीव चेतन, डॉ राकेश शैलजा, डॉ उषा कटियार, डॉ साधना डिमरी, डॉ आरती जैन, केएस नेगी आदि उपस्थित थे। एससीईआरटी के प्रवक्ता डॉ. उमेश चमोला ने बताया कि संगोष्ठी में यूपी, मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार, दिल्ली, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश आदि के 11 विश्वविद्यालयों के प्रवक्ता भाग ले रहे हैं।

ऋषिकेश न्यूज़ डेस्क !!! 

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