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gaziabad  नई नीति से मुआवजा मांग रहे छह गांवों के किसान गड्ढे खोदकर लेटे, बोले- समस्या हल हुए बिना बाहर नहीं निकलेंगे

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उत्तर प्रदेश न्यूज़ डेस्क !!! आवास-विकास की मंडोला विहार योजना से प्रभावित छह गांव के कई किसानों ने बुधवार सुबह भू-समाधि ले ली।खबरों से प्राप्त जानकारी के अनुसार बताया जा रहा है कि,  वह जमीन खोदकर बनाए गए गड्ढों में लेट-बैठ गए।मीडिया रिपेार्ट के अनुसार , किसानों ने दो टूक ऐलान किया है कि जब तक मुआवजा संबंधी समस्याओं का निदान नहीं होगा, वह इन गड्ढों से बाहर नहीं निकलेंगे।

आवास विकास परिषद द्वारा मंडोला विहार योजना के तहत वर्ष 1998 में छह गांव मंडोला, नानू, मिलक बामला, अगरोला, नवादा, मक्सूदाबाद आदि गांव की 2614 एकड़ भूमि अधिग्रहित की थी। उस वक्त 1100 रुपये की दर से किसानों को मुआवजा दिया गया था। 2 दिसंबर 2016 को मंडोला समेत छह गांव के किसानों ने 2013 भूमि अधिग्रहण अधिनियम के तहत अधिग्रहित भूमि का मुआवजा देने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। तब से आज तक धरना जारी है। सूत्रों के अनुसार बताया जा रहा है किइस दौरान किसानों ने विरोध के कई तरीके बदले, लेकिन समस्या हल नहीं हुई। अब किसानों ने ऐलान किया था कि 14 सितंबर तक उनकी समस्या हल नहीं हुई तो वे जिंदा ही भू-समाधि ले लेंगे। इसके लिए किसानों ने धरनास्थल के नजदीक कई दिन पहले गड्ढे भी खोद लिए थे।

बुधवार सुबह किसान नेता मनवीर तेवतिया के नेतृत्व में 20 से ज्यादा किसान इन गड्ढों में लेट-बैठ गए। किसान नेता नीरज त्यागी ने कहा कि अनेक बार वह धरने-प्रदर्शन कर चुके हैं। तमाम बार अफसरों से वार्ता हो चुकी है। 10 सितंबर को एडीएम प्रशासन ऋतु सुहास ने यहां आकर भरोसा दिया था कि समस्या का हल निकल जाएगा, लेकिन कुछ नहीं हुआ। इसलिए किसान अब इन गड्ढों से तभी बाहर निकलेंगे, जब उनकी समस्या हल हो जाएगी।आपकी जानकारी के लिए बता दें कि,इस आंदोलन की अगुवाई अब प्रमुख किसान नेता मनवीर तेवतिया कर रहे हैं। मनवीर मूल रूप से बुलंदशहर जिले में गुलावठी क्षेत्र के ग्राम नत्थूगढ़ी के रहने वाले हैं। छात्र राजनीति में वह एबीवीपी से जुड़े रहे। साल-2006 में बसपा के टिकट पर नगर पालिका गुलावठी चेयरमैन का चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए। मुआवजे को लेकर ग्रेटर नोएडा के भट्टा पारसौल और अलीगढ़ के टप्पल में चले किसान आंदोलनों का नेतृत्व मनवीर तेवतिया ने किया। दोनों जगह हिंसा हुई। मनवीर तेवतिया जेल भी गए थे।

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