ऊर्जा मंत्री और विद्युत कर्मचारियों में टकराव, बयानबाज़ी से गर्माया राजनीतिक माहौल
प्रदेश में इन दिनों ऊर्जा विभाग को लेकर जबरदस्त तनातनी देखने को मिल रही है। ऊर्जा मंत्री और विभागीय कर्मचारियों के बीच विवाद अब खुलकर सामने आ चुका है, जहां दोनों पक्ष एक-दूसरे पर सीधे आरोप-प्रत्यारोप लगाने में जुटे हैं। यह विवाद सिर्फ विभागीय सीमा तक ही सीमित नहीं रह गया है, बल्कि अब इसका राजनीतिक रंग भी दिखाई देने लगा है।
ऊर्जा मंत्री का तीखा बयान
सोमवार को ऊर्जा मंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक बेहद तीखा बयान दिया। उन्होंने कहा कि, “विद्युत कर्मचारी के वेश में कुछ अराजक तत्व हैं, जिन्होंने मेरी सुपारी ली है।” इस बयान ने पूरे प्रदेश में हलचल मचा दी है। मंत्री के इस बयान को विभागीय कर्मचारियों पर सीधा हमला माना जा रहा है, जिससे कर्मचारियों में गहरा रोष है।
संगठन ने किया मंत्री का समर्थन
जहां एक ओर ऊर्जा मंत्री का यह बयान विवादों में है, वहीं दूसरी ओर एक संगठन ने उनके पक्ष में आकर इस मुद्दे को और जटिल बना दिया है। संगठन ने मंत्री की चिंता को जायज़ बताया है और कहा है कि विभाग के अंदर कुछ ऐसे तत्व हैं, जो योजनाबद्ध तरीके से अराजकता फैलाने की कोशिश कर रहे हैं।
कर्मचारियों ने जताई नाराज़गी, मुख्यमंत्री पर जताया भरोसा
दूसरी तरफ विद्युत विभाग के कार्मिकों ने ऊर्जा मंत्री के इस बयान को निंदनीय बताते हुए कहा है कि इससे उनकी छवि को ठेस पहुंची है। उन्होंने मंत्री के खिलाफ खुलकर मोर्चा खोलते हुए कहा कि वे अब मुख्यमंत्री में ही आस्था रखते हैं। कर्मचारियों का कहना है कि मंत्री के रवैये से विभाग का मनोबल गिरा है और संवाद का माहौल खत्म हो रहा है।
सियासी पारा भी चढ़ा
इस पूरे घटनाक्रम को अब राजनीतिक चश्मे से भी देखा जा रहा है। विपक्षी दलों ने इसे सरकार के अंदर तालमेल की कमी और कर्मचारियों के प्रति उपेक्षात्मक रवैये का प्रतीक बताया है। कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह विवाद आगामी विधानसभा उपचुनावों या अन्य सियासी समीकरणों को भी प्रभावित कर सकता है।
समाधान की आवश्यकता
उर्जा विभाग जैसे संवेदनशील क्षेत्र में ऐसी बयानबाजी और आरोप-प्रत्यारोप से न केवल आंतरिक कार्य प्रणाली बाधित होती है, बल्कि आम जनता पर भी इसका असर पड़ता है। बिजली जैसी बुनियादी सेवा से जुड़े विभाग में इस तरह का टकराव चिंता का विषय है। विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को चाहिए कि वह जल्द से जल्द दोनों पक्षों को बातचीत की टेबल पर लाकर विवाद

