रामबाग स्थित जीवन ज्योति हास्पिटल के मालिक व शहर के नामी गिरामी सर्जन रहे डाॅ. एके बंसल की 12 जनवरी 2017 को उनके ही चैंबर में घुसकर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। लाख कोशिशों के बाद भी पुलिस इस मामले पर से पर्दा नहीं उठा पाई थी। घटना के सवा चार साल बाद अप्रैल 2021 में STF ने मामले का खुलासा किया था। इस मामले में शूटर शोएब को गिरफ्तार किया गया था। जांच और शोएब से मिले इनपुट के आधार पर अन्य आरोपियों के साथ आलोक सिन्हा को नामजद किया गया था। इसके आगे बताया जा रहा है कि प्रदेश सरकार ने इस मामले में आलोक पर 50 हजार का इनाम भी घोषित किया था। आलोक सिन्हा ने पूछताछ में बताया था कि गाजियाबाद में वह कोचिंग का संचालन करता है। इस दौरान उसका परिचय बड़े-बड़े प्राइवेट मेडिकल कालेजों में हो गई थी। डॉ. एके बंसल ने अपने बेटे अर्पित का डीएम नेफ्रोलजी में एडमीशन दिलाने के नाम पर उसे 55 लाख रुपये दिए थे। आलोक अर्पित का एडमीशन कराने में विफल रहा। इसके बाद डाॅ. बंसल ने रुपये वापसी के लिए तरह-तरह का दबाव बनाना व धमकाना शुरू कर दिया था। जब वह पैसा नहीं लौटा पाया तो सिविल लाइंस थाने में उसके खिलाफ धोखाधड़ी की FIR दर्ज करा दी । इसके बाद आलोक को जेल भेज दिया गया। यहीं से आलोक के मन में डॉ. बंसल को सबक सिखाने की बात घर कर गई।
शूटरों से काम होने के एवज में 70 लाख रुपये की बड़ी सौदोबाजी हुई। 15 लाख रुपये बतौर एडवांस दिए गए। 50 लाख रुपये हत्या के बाद देने की बात थी। शूटरों को जैसे ही रुपये मिले उन्होंने रेकी कर पहले अस्पताल के भौगोलिक परिस्थित से वाकिफ हाु गए और तय प्लान के मुताबिक डॉ. एके बंसल को उनके ही चैंबर में शूटरों ने भून दिया और आराम से पिछले दरवाजे से निकल गए। एसटीएफ ने बताया कि आलोक ने ही डाॅ. बंसल की हत्या के लिए शूटरों को 70 लाख की सुपारी दी थी। इस हत्याकांड के बाद से मो. अबरार खान फरार चल रहा था। उसपर भी 50 हजार रुपये ईनाम घोषित किया गया था।