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Allahabad  कल मनाया जाएगा राधारानी का प्राक्‍ट्य उत्‍सव, जानें पूजन का शुभ मुहूर्त व विधि

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उत्तर प्रदेश न्यूज़ डेस्क  !!!मीडिया रिपेार्ट के अनुसारभगवान श्रीकृष्ण की प्रिया राधारानी का प्राकट्य उत्सव कल मंगलवार को भाद्रपद शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाएगा। इस अवसर पर मठ-मंदिरों में मंत्रोच्चार के बीच राधारानी का अभिषेक व पूजन किया जाएगा। इस्कान मंदिर में सुबह मंत्रोच्चार के बीच श्रीराधा-कृष्ण का अभिषेक करके उन्हें पुणे में तैयार मोती जडि़त वस्त्र धारण कराया जाएगा। वस्त्र में लगे मोती जापान से मंगाए गए हैं। भक्त आरती करके कीर्तन के जरिए राधा-कृष्ण की महिमा बखानेंगे। उन्हें 56 भोग अर्पित करके प्रसाद स्वरूप उसे ग्रहण करेंगे। खबरों से प्राप्त जानकारी के अनुसार बताया जा रहा है कि,
श्रीरूप गौड़ीय मठ, राधा-कृष्ण मंदिर, श्री निंबार्क आश्रम सहित तमाम मंदिरों में राधा अष्टमी का पर्व श्रद्धा से मनाया जाएगा।

ज्योतिर्विद आचार्य अविनाश राय बताते हैं कि अष्टमी तिथि सोमवार 13 सितंबर की की शाम 4.49 बजे अष्टमी तिथि लगकर मंगलवार 14 सितंबर की दोहपर 2.34 बजे तक रहेगी। सुबह 10.29 से दोपहर 12.47 तक वृश्चिक की स्थिर लग्न रहेगी। इसी समयावधि में राधारानी का प्राकट्य मनाना उचित रहेगा। उन्‍हाेंने बताया कि राधा अष्टमी से 15 दिवसीय महालक्ष्मी का व्रत आरंभ भी हो जाएगा। वे बताते हैं कि श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की तरह राधा अष्टमी का विशेष महत्व है। खबरों से प्राप्त जानकारी के अनुसार बताया जा रहा है कि,राधा अष्टमी का व्रत रखने वालों को समस्त पापों से मुक्ति मिलती है। विवाहित महिला संतान सुख और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए राधा अष्टमी का व्रत रखती हैं।

पराशर ज्योतिष संस्थान के निदेशक आचार्य विद्याकांत पांडेय बताते हैं कि श्रीराधा-कृष्ण जिनके इष्टदेव हैं, उन्हेंं राधाष्टमी का व्रत अवश्य करना चाहिए। श्रीराधा जी सर्वतीर्थमयी व ऐश्वर्यमयी हैं। इनके भक्तों के घर में सदा लक्ष्मी जी का वास रहता है। श्रीराधा अष्टमी की सुबह सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नानादि क्रियाओं से निवृत होकर श्रीराधा जी का विधिवत पूजन करना चाहिए। श्रीराधा-कृष्ण मंदिर में ध्वजा, पुष्पमाला, वस्त्र, पताका, तोरण, मिष्ठान व फल अर्पित करके श्रीराधा की स्तुति करनी चाहिए। घर अथवा मंदिर में पांच रंगों से मंडप सजाएं। इसके भीतर कमलयंत्र बनाएं, उस कमल के मध्य में दिव्य आसन पर श्रीराधा-कृष्ण की युगलमूर्ति पश्चिमाभिमुख करके स्थापित करें। दिन में हरिचर्चा में समय बिताकर रात्रि में श्रीराधा-कृष्ण नाम संकीर्तन करना कल्याणकारी होता है।

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