बनास नदी में हादसों का सिलसिला जारी, चेतावनियों के बावजूद लोग जोखिम में डाल रहे हैं जान
राजस्थान की बनास नदी अब भी खौफ का नाम बन गई है। जिले में हादसों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। हर बार कोई न कोई परिवार अपने घर के चिराग को खो रहा है, किसी का सिंदूर उजड़ रहा है, तो किसी के सिर से पिता का साया उठ रहा है।
चेतावनियों के बावजूद लोग जोखिम में उतर रहे हैं
स्थानीय प्रशासन और पुलिस विभाग ने वर्षों से नदी में सावधानी और सुरक्षा को लेकर कई चेतावनियां जारी की हैं। तटबंधों पर चेतावनी बोर्ड लगाए गए हैं, तटों पर गश्त की जाती है और बच्चों को नदी के खतरों के प्रति जागरूक करने के लिए अभियान भी चलाए गए हैं। इसके बावजूद लोग अब भी नदी में जान जोखिम में डालकर उतर रहे हैं।
विशेषकर बच्चे और युवा, जो गर्मियों या त्यौहारों के अवसर पर नदी में तैराकी या स्नान करते हैं, अक्सर दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं। स्थानीय लोग बताते हैं कि नदी के कई हिस्से में गहरी खाइयां और तेज धार है, जो सामान्य लोगों के लिए भी खतरनाक है।
पिछले हादसों का दर्द
पिछले कुछ महीनों में नदी में दर्ज हुए हादसों की सूची लंबी है। कई परिवारों ने अपने प्रियजनों को खो दिया, तो कुछ को गंभीर रूप से घायल होने के बाद अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। इस स्थिति ने नदी के किनारे बसे ग्रामीणों और शहरवासियों के बीच डर और चिंता की स्थिति पैदा कर दी है।
स्थानीय निवासी ममता देवी बताती हैं, “हर बार कोई न कोई हादसा होता है। प्रशासन चेतावनी देता है, पर लोग सुनते नहीं। नदी में उतरने का मोह इतना बढ़ गया है कि लोग सुरक्षा की परवाह किए बिना ही जोखिम उठा लेते हैं। कभी हम सोचते हैं कि कब तक ऐसे हादसे होते रहेंगे।”
प्रशासन और बचाव तंत्र
जिले के प्रशासन ने हादसों को रोकने के लिए कई उपाय अपनाए हैं। नदी के किनारे चेतावनी बोर्ड, तट पर पुलिस और बचाव दल की तैनाती, और स्कूलों में जागरूकता अभियान चलाए गए हैं। इसके अलावा, आपातकालीन परिस्थितियों में त्वरित बचाव के लिए रेस्क्यू टीमों और नावों की व्यवस्था की गई है।
हालांकि, प्रशासन की यह कोशिश तब तक प्रभावी नहीं हो सकती जब तक लोग नदी के खतरों की गंभीरता को समझें और सुरक्षित व्यवहार अपनाएं।
समाज में जागरूकता की जरूरत
विशेषज्ञों का कहना है कि केवल प्रशासनिक कदम पर्याप्त नहीं हैं। स्थानीय समुदाय, परिवार और शिक्षण संस्थानों को भी बच्चों और युवाओं में सुरक्षित आचरण और नदी के खतरों के प्रति जागरूकता पैदा करनी होगी।
बनास नदी का मनोरम दृश्य और स्नान की सुविधा लोगों को आकर्षित करती है, लेकिन इसका खतरनाक रूप लगातार जीवन पर भारी पड़ रहा है। चेतावनी, सुरक्षा उपाय और जागरूकता को गंभीरता से न लेने की कीमत लोग अब तक चुका चुके हैं।
निष्कर्ष
बनास नदी में हादसों का सिलसिला अब भी जारी है। लाख चेतावनियों और सुरक्षा प्रयासों के बावजूद लोग नदी में जोखिम उठाते हैं, और इसने कई परिवारों के जीवन को हमेशा के लिए बदल दिया है। विशेषज्ञों और प्रशासन का मानना है कि सुरक्षा नियमों का पालन और जागरूकता ही इन हादसों को रोकने का सबसे बड़ा तरीका है।

