राज्यपाल राधाकृष्णन का बयान: मातृभाषा पर गर्व करें, लेकिन अन्य भाषाओं को भी अपनाएं
महाराष्ट्र में मराठी भाषा को लेकर उठे विवाद के बीच राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने मंगलवार को एक संतुलित और प्रेरक बयान दिया। उन्होंने कहा कि हमें अपनी मातृभाषा पर गर्व होना चाहिए, लेकिन साथ ही अन्य भाषाएं सीखने और उनका सम्मान करने की जरूरत है। राज्यपाल ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि भाषाई असहिष्णुता समाज में विभाजन को जन्म देती है और इससे बचना चाहिए।
राज्यपाल राधाकृष्णन ने कहा, “भाषा हमारी पहचान का हिस्सा है, लेकिन यह संवाद और एकता का माध्यम भी होनी चाहिए, न कि विवाद का कारण।” उन्होंने बताया कि जब वह तमिलनाडु से सांसद थे, तो एक दिन उन्होंने देखा कि कुछ लोग एक व्यक्ति की पिटाई कर रहे थे। उन्होंने हस्तक्षेप कर जब घटना का कारण पूछा, तो पता चला कि वह व्यक्ति तमिल नहीं बोल रहा था। होटल मालिक ने बताया कि लोग उसे तमिल बोलने के लिए मजबूर कर रहे थे।
राज्यपाल ने इस घटना के माध्यम से यह संदेश दिया कि केवल मातृभाषा को सर्वोपरि मानकर अन्य भाषाओं के प्रति कट्टरता रखना गलत है। उन्होंने कहा कि देश की विविधता ही उसकी सबसे बड़ी ताकत है और भाषाओं का सम्मान करना उस विविधता को संजोने का तरीका है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि भाषाएं जोड़ने का कार्य करती हैं, तोड़ने का नहीं।
महाराष्ट्र में पिछले कुछ समय से मराठी भाषा को लेकर राजनीतिक बयानबाज़ी तेज़ हुई है। कुछ स्थानों पर गैर-मराठी बोलने वालों को अपमान या हिंसा का सामना करना पड़ा है। ऐसे समय में राज्यपाल का यह बयान सामाजिक समरसता की दिशा में एक सकारात्मक पहल के रूप में देखा जा रहा है।
राज्यपाल ने युवाओं से अपील की कि वे तकनीक, शिक्षा और संवाद के लिए हिंदी, अंग्रेज़ी, मराठी जैसी प्रमुख भाषाओं के साथ-साथ अन्य भारतीय भाषाएं भी सीखें। उन्होंने कहा कि एकाधिक भाषाएं जानना व्यक्ति को अधिक सक्षम और खुले विचारों वाला बनाता है।
महाराष्ट्र जैसे सांस्कृतिक और भाषाई रूप से समृद्ध राज्य में राज्यपाल का यह संदेश आने वाले समय में भाषाई सौहार्द को बढ़ावा देने में सहायक हो सकता है। उन्होंने अंत में कहा कि “हमारी पहचान हमारी भाषा से है, लेकिन हमारी शक्ति हमारी एकता से है।”

