इस मौके पर साध्वी श्रीजी ने कहा कि श्रीसंघ जयवंत होता है। महिला धर्म की रक्षा के लिए कठिन समय में अपना धन, संपत्ति का त्याग करें, वह सच्ची धर्म की पत्नी होती है। गरीब में अमीरी होती है, अमीर में गरीबी होती है। जो साध्वी हित दर्शना श्रीजी ने कहा कि अष्टमी का महत्व तभी सार्थक होता है, जब विगत 12 माह में होने वाली गलतियों का प्रायश्चित करें। तपस्या की अनुमोदना में तप नियम का संकल्प लेते हैं तभी आत्मा उज्जवल होती है। साध्वी चारू दर्शना श्रीजी ने कहा कि तपस्या मन की साधना, तप आत्मा का चंदन होती है। मन के आत्मबल को मजबूत करने की साधना तपस्या होती है।
इसके पहले विकास नगर स्थित आराधना भवन से साध्वी देवेंद्र श्रीजी,शहर के प्रमुख मार्गों से होता हुआ स्टेशन रोड स्थित दादावाड़ी पहुंचकर धर्मसभा में परिवर्तित हुआ। हित दर्शना श्रीजी, गुणरंजना श्रीजी के सानिध्य और श्री जैन श्वैतांबर भीड़ भंजन पार्श्व नाथ मंदिर ट्रस्ट (श्रीसंघ) के तत्वावधान में बैंडबाजों के साथ रथ यात्रा व वरघोड़ा निकला। जो इस अवसर पर तुषार लालका, शोभागमल डोसी, पारसमल लसोड़, अनिल नागौरी सहित समाजजन उपस्थित थे।