सोनागिर में आचार्यश्री सुबल सागर ने अपने हाथों से किए केश लोचन, ढाई घंटे तक चली प्रक्रिया

जैन समाज की महान परंपरा और साधना का अनूठा उदाहरण मंगलवार को देखने को मिला, जब सोनागिर स्थित बीस पंथी कोठी में विराजमान आचार्य सुबल सागर महाराज ने अपने हाथों से केश लोचन की रस्म निभाई। यह प्रक्रिया करीब ढाई घंटे तक चली, जिसमें उन्होंने अपने हाथों से सिर, दाढ़ी, मूंछ और चेहरे के बाल हटाए।
अपने हाथों से बाल हटाकर दिखाया त्याग
इस खास क्षण पर अपने प्रवचन में आचार्य ने कहा कि भगवान महावीर के अनुसार केश लोचन केवल शरीर को कष्ट नहीं पहुंचाता, बल्कि यह साधना की सर्वोच्च शक्ति की परीक्षा है। उन्होंने कहा कि दिगंबर साधु कैंची या किसी अन्य औजार से बाल नहीं काटते। इसके लिए पैसे की जरूरत होगी और फिर उन्हें भीख मांगनी होगी। भीख मांगने से स्वावलंबन और स्वाभिमान को ठेस पहुंचती है। इसलिए दिगंबर साधु अपने हाथों से शरीर के बाल हटाकर त्याग और साधना के दृढ़ संकल्प का परिचय देते हैं।
आचार्यश्री सोनागिर-ग्वालियर के लिए करेंगे पदविहार
इस पवित्र परंपरा के बाद आचार्यश्री संघ गुरुवार 19 जून को प्रातः 5 बजे सोनागिर से ग्वालियर के लिए पदविहार करेंगे। वहां वे आगामी चातुर्मास करेंगे। चातुर्मास समिति की ओर से उन्हें श्रीफल भेंट किया गया तथा औपचारिक आमंत्रण दिया गया। समिति के प्रवक्ता सचिन जैन ने बताया कि जून के अंत तक उनका ग्वालियर में मंगल प्रवेश होगा। आचार्यश्री के सान्निध्य में 2 से 11 जुलाई तक नई सड़क स्थित चंपाबाग गार्डन में 108 सदस्यीय मंडलीय श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान का आयोजन किया जाएगा। इस दौरान पूरे शहर में जैन श्रद्धालुओं का जमावड़ा देखने को मिलेगा तथा धार्मिक वातावरण पूरी तरह जीवंत रहेगा। जैन समाज इस कार्यक्रम की तैयारियों में जुटा हुआ है।
निर्मल पाटनी, बालचंद्र जैन, विनय कासलीवाल, उमेश जैन, कमलेश जैन, वीरेंद्र बाबा, प्रवीण गंगवाल, प्रमोद जैन, मुकेश पहाड़िया, महेंद्र जैन, गौतम गोधा, पंकज जैन सहित संपूर्ण जैन समाज के अनेक गणमान्य लोग इस कार्यक्रम की तैयारियों में सक्रिय रूप से जुटे हुए हैं। यह कार्यक्रम न केवल धार्मिक महत्व का है, बल्कि युवाओं और साधकों के लिए संयम, साधना और आत्म-अनुशासन का जीवंत उदाहरण भी है।