Samachar Nama
×

'भारत को इस्लामिक देश बनाने की साजिश', PFI के खिलाफ NIA की पहली चार्जशीट

'भारत को इस्लामिक देश बनाने की साजिश', PFI के खिलाफ NIA की पहली चार्जशीट

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को राजधानी भोपाल में मिशन-2047 के तहत कथित रूप से काम कर रहे युवक दानिश खान की गिरफ्तारी के संबंध में एफआईआर और आरोप पत्र की प्रतियां पेश करने का आदेश दिया है। न्यायमूर्ति संजीव सचदेव और न्यायमूर्ति विनय सराफ की खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई 19 मार्च तय की है।

भोपाल की सोनिया गांधी कॉलोनी निवासी शीबा खान ने अपने पति दानिश खान की गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि 24 मई 2023 को एटीएस भोपाल ने दानिश को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार किया था।

दानिश पर अन्य आरोपियों के साथ मिलकर भारत में शासन प्रणाली को बदलने और इस्लामी शरिया कानून लागू करने की योजना बनाने का आरोप है। इसी सिलसिले में उन्हें मिशन-2047 के तहत सक्रिय माना गया और गिरफ्तार कर लिया गया। शीबा खान का आरोप है कि उनके पति की गिरफ्तारी अवैध है और उन्हें बिना किसी ठोस आधार के हिरासत में लिया गया है। इसीलिए उन्होंने हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर न्याय की गुहार लगाई है।

अदालत में क्या हुआ?
इस पूरे मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता बसंत डेनियल ने कोर्ट को बताया कि दानिश खान को बिना किसी ठोस सबूत के गिरफ्तार किया गया, जो इसे अवैध बनाता है। उन्होंने यह भी कहा कि गिरफ्तारी के लिए कोई वैध कारण नहीं बताया गया तथा कार्रवाई अनुचित तरीके से की गई। वहीं, एनआईए ने अदालत को बताया कि दानिश खान के खिलाफ दर्ज एफआईआर गंभीर अपराधों से संबंधित है। एजेंसी ने कहा कि निचली अदालत में उनके खिलाफ आरोपपत्र दायर किया गया है और इसकी प्रतियां उपलब्ध हैं।

एनआईए को आदेश दिया गया
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद हाईकोर्ट की खंडपीठ ने एनआईए को अगली सुनवाई तक एफआईआर और आरोपपत्र की प्रतियां पेश करने का आदेश दिया। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि मामले की विस्तृत सुनवाई 19 मार्च को होगी, जिसमें याचिकाकर्ता और अभियोजन पक्ष की दलीलों पर विस्तार से विचार किया जाएगा।

मिशन 2047: इसकी पृष्ठभूमि क्या है?
मिशन-2047 एक विवादास्पद योजना बताई जा रही है, जिसका उद्देश्य भारत की वर्तमान शासन प्रणाली को समाप्त कर शरिया कानून लागू करना है। इसमें शामिल कई लोगों पर देश में अस्थिरता फैलाने और सरकार के खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगाया गया है। एनआईए और एटीएस जैसी एजेंसियां ​​इस मिशन से जुड़े मामलों की गहन जांच कर रही हैं। दानिश खान की गिरफ्तारी को भी इसी जांच का हिस्सा माना जा रहा है। हाल के महीनों में इस मामले में कई गिरफ्तारियां हुई हैं, जिससे यह मामला लगातार खबरों में बना हुआ है।

आगामी सुनवाई और संभावित प्रभाव
अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि 19 मार्च को अगली सुनवाई में एनआईए द्वारा पेश की जाने वाली एफआईआर और चार्जशीट में क्या तथ्य सामने आते हैं। यदि अभियोजन पक्ष द्वारा पर्याप्त साक्ष्य प्रस्तुत किए जाते हैं तो न्यायिक प्रक्रिया में दानिश खान की स्थिति स्पष्ट हो सकती है। साथ ही, यदि आवेदक के तर्कों को अधिक महत्व दिया गया तो उसकी गिरफ्तारी की वैधता पर सवाल उठ सकते हैं। यह मुद्दा कानूनी और सामाजिक दोनों स्तरों पर बहुत महत्वपूर्ण हो गया है, क्योंकि यह राष्ट्रीय सुरक्षा, धार्मिक कट्टरता और संवैधानिक मूल्यों से जुड़े कई गंभीर सवाल उठा रहा है।

Share this story

Tags