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1 अक्टूबर को Jammu-Kashmir के दौरे पर जाएंगे अमित शाह, पहाड़ी भाषी समुदाय के लिए कर सकते हैं आरक्षण की घोषणा !

1 अक्टूबर को Jammu-Kashmir के दौरे पर जाएंगे अमित शाह, पहाड़ी भाषी समुदाय के लिए कर सकते हैं आरक्षण की घोषणा !
जम्मू न्यूज डेस्क !!! केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह 1 और 2 अक्टूबर को दो दिनों के लिए जम्मू-कश्मीर के दौरे पर रहेंगे। इस दौरान वह पहाड़ी भाषी समुदाय के लिए आरक्षण की घोषणा कर सकते हैं। भाजपा सूत्रों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। पार्टी सूत्रों के अनुसार, शाह 1 अक्टूबर को जम्मू संभाग के राजौरी में और 2 अक्टूूबर को कश्मीर संभाग के कुपवाड़ा जिले में जनसभा को संबोधित करेंगे। जिसमें वह केंद्र शासित प्रदेश के दो संभागों में एक-एक दिन का समय व्यतीत करेंगे। सूत्रों ने कहा, वह पहाड़ी भाषी समुदाय के लिए आरक्षण की घोषणा करेंगे, जिनकी बड़ी आबादी जम्मू संभाग के पुंछ, राजौरी जिलों और घाटी के बारामूला जिले में रहती है।

भाजपा सूत्रों ने कहा कि शाह अपनी आगामी यात्रा के दौरान जम्मू-कश्मीर में भाजपा के चुनाव प्रचार अभियान की शुरुआत करेंगे।परिसीमन आयोग ने पहले ही 90 सदस्यीय जम्मू-कश्मीर विधानसभा में एसटी और एससी के लिए आरक्षण कर दिया है, जिसमें एसटी के लिए नौ सीटें और एससी उम्मीदवारों के लिए छह सीटें हैं।इसके अलावा, परिसीमन आयोग ने पुडुचेरी विधानसभा की तर्ज पर विधानसभा में मतदान के अधिकार के साथ कश्मीरी पंडित समुदाय के लिए दो मनोनीत सीटों की सिफारिश की है। साथ ही यह भी सिफारिश की गई है कि दो नामित कश्मीर पंडित सदस्यों में से एक महिला होनी चाहिए।

परिसीमन आयोग ने पश्चिमी पाकिस्तान के शरणार्थियों से नामांकित सदस्यों की भी सिफारिश की है, जिन्हें पहले ही अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद विधानसभा में मतदान का अधिकार दिया जा चुका है।अनुच्छेद 370 निरस्त होने से पहले, पश्चिमी पाकिस्तान के शरणार्थी जम्मू-कश्मीर विधानसभा के लिए नहीं, लेकिन देश की लोकसभा के लिए मतदान कर सकते हैं।चुनाव आयोग ने अंतिम मतदाता सूची के प्रकाशन के लिए 25 नवंबर की तारीख तय की है। अपनी यात्रा के दौरान, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के साथ शीर्ष स्तरीय सुरक्षा बैठकों की सह-अध्यक्षता भी करेंगे। इन बैठकों में कश्मीर संभाग में आतंकवाद से निपटने पर ध्यान केंद्रित करने की संभावना है, जहां अवशिष्ट उग्रवाद के आधिकारिक दावों के बावजूद, खुफिया एजेंसियों का मानना है कि स्थानीय युवाओं का कट्टरपंथ अभी भी जारी है।

--आईएएनएस

पीके/एसकेके

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