RSS की 75 की लकीर, क्या भागवत का बयान PM मोदी के लिए है संकेत? विपक्ष ने संघ प्रमुख के बयान को लपका
सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा है कि 75 वर्ष की आयु पूरी करने के बाद लोगों को दूसरों को काम करने का मौका देना चाहिए। नागपुर में एक कार्यक्रम के दौरान संघ प्रमुख ने कहा कि जब किसी नेता को 75 वर्ष पूरे होने पर शॉल ओढ़ाई जाती है, तो इसका एक अर्थ होता है। इसका मतलब है कि वे वृद्ध हो गए हैं। आपको दूसरों को मौका देना चाहिए। आरएसएस प्रमुख 9 जुलाई को राम जन्मभूमि आंदोलन के संस्थापक स्वर्गीय मोरोपंत पिंगले पर लिखी गई एक पुस्तक के विमोचन समारोह में शामिल हुए थे। इस पुस्तक का नाम है 'मोरोपंत पिंगले: हिंदू पुनरुत्थान के शिल्पी'। विमोचन के बाद, भागवत ने वरिष्ठ आरएसएस नेता की विनम्रता, दूरदर्शिता और जटिल विचारों को सरल भाषा में समझाने की अद्वितीय क्षमता को याद किया।
भागवत ने कहा, "मोरोपंत पूर्ण निस्वार्थता के प्रतीक थे। उन्होंने कई कार्य किए और यह सोचकर किए कि यह कार्य राष्ट्र निर्माण में सहायक होगा।" पुस्तक विमोचन के दौरान, मोहन भागवत ने कहा कि मोरोपंत पिंगले जी ने बहुत काम किया। वे वृद्ध थे, उनका शरीर भी थोड़ा कमज़ोर था। हमने उनसे कहा - अब सारा काम दूसरों को सौंप दो। संघ प्रमुख ने बताया कि पिंगले अंतिम दिनों में नागपुर आए और यहीं रहने लगे। उनकी सोच हमेशा गतिशील रहती थी, उन्हें हर विषय का गहरा ज्ञान था। हम भी अक्सर उनसे सलाह लेने जाते थे। जो भी काम करने लायक लगता था, वे उसे शुरू कर देते थे।
मोहन भागवत ने मोरोपंत पिंगले के साथ हुई एक घटना को याद करते हुए कहा, "एक बार हमने उनसे कहा - अब बैठ जाओ, आराम करो। तब भी उन्होंने कभी नहीं कहा कि मैंने बहुत काम किया है। अगर कोई उनके काम की तारीफ करता, तो वे मज़ाक में टाल देते थे।" उनके 75वें जन्मदिन पर हम सब वृंदावन में एक बैठक में थे। देश भर से कार्यकर्ता उपस्थित थे। एक सत्र में शेषाद्रि जी ने कहा, "आज हमारे मोरोपंत जी 75 वर्ष पूरे कर चुके हैं। और उन्हें शॉल ओढ़ाई गई।"
इसके बाद उनसे कुछ कहने के लिए कहा गया। तो उन्होंने कहा कि "मेरी मुश्किल ये है कि जब मैं खड़ा होता हूँ तो लोग हँसते हैं। अगर मैं कुछ न भी कहूँ, तो भी लोग मेरी बात पर हँसते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि लोग मुझे गंभीरता से नहीं लेते। जब मैं मरूँगा, तो लोग सबसे पहले पत्थर मारेंगे, ये देखने के लिए कि मैं सचमुच मरा हूँ या नहीं।" तब मोरोपंत पिंगले जी बोले, "75 साल की उम्र में शॉल ओढ़ने का मतलब मैं जानता हूँ। इसका मतलब है कि अब आप बूढ़े हो गए हैं, आप किनारे हो गए हैं। अब दूसरों को काम करने दो।"
कांग्रेस ने मोहन भागवत के इस बयान पर हँसी उड़ाई है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि, 'प्रधानमंत्री मोदी की वापसी पर सरसंघचालक ने उन्हें याद दिलाया कि 17 सितंबर 2025 को वे 75 साल के हो जाएँगे। लेकिन प्रधानमंत्री सरसंघचालक से यह भी कह सकते हैं कि वे भी 11 सितंबर 2025 को 75 साल के हो जाएँगे! एक तीर, दो निशाने!' बेचारे पुरस्कार-भोगी प्रधानमंत्री! कैसी घर वापसी है ये- लौटते को सरसंघचालक ने याद दिलाया कि 17 सितंबर 2025 को उनकी उम्र 75 साल हो जाएगी। लेकिन प्रधानमंत्री सरसंघचालक से यह भी कह सकते हैं कि - 11 सितंबर 2025 को उनकी उम्र भी 75 साल हो जाएगी! एक तीर, दो निशाने! — जयराम रमेश (@Jairam_Ramesh) 11 जुलाई 2025
शिवसेना यूबीटी नेता संजय राउत ने भी इस पर टिप्पणी की। संजय राउत ने कहा, "प्रधानमंत्री मोदी ने आडवाणी, मुरली मनोहर, जसवंत सिंह जैसे बड़े नेताओं को जबरन रिटायरमेंट पर भेज दिया। अब देखते हैं कि मोदी खुद इसका पालन करते हैं या नहीं।" गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जन्मतिथि 17 सितंबर 1950 है। इस साल वे 75 साल के हो जाएँगे।

