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गांवों में महिलाओं के साथ भेदभाव के खिलाफ छत्तीसगढ़ की हेमलता राजपूत का अभियान, श्रीजन कल्याण संस्था बना रही है महिलाओं को आत्मनिर्भर

गांवों में महिलाओं के साथ भेदभाव के खिलाफ छत्तीसगढ़ की हेमलता राजपूत का अभियान, श्रीजन कल्याण संस्था बना रही है महिलाओं को आत्मनिर्भर

ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी महिलाओं को कई सामाजिक और पारिवारिक भेदभावों का सामना करना पड़ता है। इन्हीं भेदभावों के खिलाफ छत्तीसगढ़ की हेमलता राजपूत ने एक सशक्त अभियान छेड़ा है। वे ‘श्रीजन कल्याण समाजसेवी संस्था’ के माध्यम से महिलाओं को न सिर्फ जागरूक कर रही हैं, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनने की राह पर भी अग्रसर कर रही हैं।

हेमलता राजपूत का कहना है कि, “गांवों में अब भी महिलाओं के साथ कई तरह के भेदभाव होते हैं। ये आमतौर पर परिवार और समाज में गहराई से जड़े होते हैं। महिलाओं की आवाज को दबा दिया जाता है, उनकी शिक्षा, रोजगार और निर्णय लेने के अधिकारों को सीमित कर दिया जाता है। इसी के मद्देनज़र हमने एक व्यापक अभियान शुरू किया है।”

वर्ष 2016 से शुरू हुआ बदलाव का सफर

हालांकि श्रीजन कल्याण संस्था की औपचारिक शुरुआत वर्ष 2016 में हुई, लेकिन हेमलता इससे पहले से ही समाज में सक्रिय थीं। वे महिला शिक्षा, घरेलू हिंसा, बाल विवाह, महिला स्वच्छता और स्वरोजगार जैसे मुद्दों पर लंबे समय से काम करती रही हैं। संस्था बनने के बाद इन प्रयासों को एक संगठित दिशा मिली और धीरे-धीरे यह एक मजबूत जनआंदोलन का रूप लेने लगा।

भेदभाव के खिलाफ जागरूकता से लेकर कौशल विकास तक का काम

संस्था का उद्देश्य केवल भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाना नहीं, बल्कि महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना भी है। इसके तहत गांव-गांव जाकर सिलाई, बुनाई, अगरबत्ती निर्माण, खाद्य प्रसंस्करण जैसे कौशलों का प्रशिक्षण दिया जाता है। साथ ही महिलाओं को बैंकिंग, बचत, लघु ऋण और सरकारी योजनाओं की जानकारी भी दी जाती है।

गांवों में बदल रही है सोच

हेमलता बताती हैं कि शुरुआत में गांवों में इस अभियान को लेकर संकोच और संदेह था। लेकिन जब कुछ महिलाओं ने आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम बढ़ाया और आर्थिक रूप से परिवार को सहयोग देना शुरू किया, तो समाज की सोच धीरे-धीरे बदलने लगी। अब कई गांवों में महिलाएं खुद समूह बनाकर काम कर रही हैं और परिवार के साथ-साथ समाज को भी आगे बढ़ा रही हैं।

भविष्य की योजना

हेमलता का सपना है कि छत्तीसगढ़ के हर गांव में महिलाएं शिक्षित, जागरूक और आत्मनिर्भर बनें। वे चाहती हैं कि महिलाओं को समाज में केवल घरेलू भूमिकाओं तक सीमित न रखा जाए, बल्कि वे निर्णय लेने की प्रक्रिया में बराबरी की भागीदार बनें।

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