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पामगढ़ की शालू डहरिया बनीं अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी, एशिया वूमेन्स सॉफ्टबॉल प्रतियोगिता के लिए भारतीय टीम में चयन

पामगढ़ की शालू डहरिया बनीं अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी, एशिया वूमेन्स सॉफ्टबॉल प्रतियोगिता के लिए भारतीय टीम में चयन

छत्तीसगढ़ के छोटे से नगर पामगढ़ की शालू डहरिया ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है। उनका चयन चीन के जियान शहर में 14 से 21 जुलाई तक आयोजित होने वाली एशिया वूमेन्स सॉफ्टबॉल प्रतियोगिता के लिए भारतीय महिला टीम में हुआ है। यह उपलब्धि सिर्फ शालू ही नहीं, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ के लिए गर्व का विषय बन गई है।

हालांकि आर्थिक तंगी के चलते शालू के अंतरराष्ट्रीय सफर पर संकट के बादल मंडरा रहे थे। लेकिन इस कठिन समय में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने सहायता का हाथ बढ़ाया। उन्होंने शालू की मेहनत और प्रतिभा को सराहा और रविवार सुबह जांजगीर जिला कलेक्टर कार्यालय में उन्हें 1.70 लाख रुपये की आर्थिक सहायता का चेक प्रदान किया गया।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने वीडियो कॉलिंग के जरिए शालू से बातचीत की और उन्हें शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा, "शालू ने प्रदेश का नाम रोशन किया है। राज्य सरकार हर प्रतिभाशाली खिलाड़ी के साथ खड़ी है और उन्हें हर संभव सहयोग प्रदान किया जाएगा।"

शालू डहरिया ने मुख्यमंत्री और प्रशासन का आभार जताते हुए कहा कि यह सहयोग उनके लिए किसी संजीवनी से कम नहीं है। उन्होंने कहा, "मुझे सॉफ्टबॉल खेलने का जुनून है, लेकिन आर्थिक हालात के चलते कई बार रुकावटें आईं। अब जब सरकार का साथ मिला है, तो मैं पूरे आत्मविश्वास से देश और प्रदेश का नाम रोशन करने के लिए मैदान में उतरूंगी।"

शालू के कोच और परिजनों ने भी इस सहयोग के लिए मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया और उम्मीद जताई कि प्रदेश की अन्य प्रतिभाशाली बेटियों को भी इसी तरह प्रोत्साहन मिलेगा।

पृष्ठभूमि

शालू डहरिया का खेल सफर काफी संघर्षों से भरा रहा है। सीमित संसाधनों और आर्थिक कठिनाइयों के बावजूद उन्होंने जिला और राज्य स्तर पर शानदार प्रदर्शन किया। अब अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहुंचना उनकी प्रतिभा और मेहनत का प्रमाण है।

खेल प्रेमियों में उत्साह

शालू के चयन और सरकारी सहयोग की खबर मिलते ही पामगढ़ व आसपास के क्षेत्रों में खुशी की लहर है। स्थानीय लोग और खेल प्रेमी इसे प्रेरणादायक मान रहे हैं।

यह उदाहरण बताता है कि यदि सरकार और समाज साथ दें, तो कोई भी खिलाड़ी अपनी मंजिल तक पहुंच सकता है, चाहे रास्ते कितने भी कठिन क्यों न हों।

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