भारत में बढ़ता वायु प्रदूषण, 2025 की पहली छमाही में बर्नीहाट सबसे प्रदूषित, दिल्ली दूसरे और हाजीपुर तीसरे स्थान पर
देश में वायु प्रदूषण को लेकर चिंताएं लगातार गहराती जा रही हैं। ऊर्जा एवं स्वच्छ वायु अनुसंधान केंद्र (CREA) की ताजा रिपोर्ट ने इस समस्या की भयावहता को फिर से उजागर कर दिया है। शुक्रवार, 11 जुलाई को जारी इस रिपोर्ट के मुताबिक, 2025 की पहली छमाही में झारखंड-असम सीमा पर स्थित बर्नीहाट देश का सबसे प्रदूषित शहर रहा है।
रिपोर्ट में राजधानी दिल्ली को दूसरे स्थान पर और बिहार का हाजीपुर तीसरे स्थान पर बताया गया है। रिपोर्ट देश के 293 शहरों में स्थापित निरंतर परिवेशी वायु गुणवत्ता निगरानी केंद्रों (CAAQMS) से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर तैयार की गई है, जिसमें PM 2.5 कणों के औसत स्तर की समीक्षा की गई।
क्या है PM 2.5?
पीएम 2.5 अत्यंत सूक्ष्म कण होते हैं, जिनका व्यास 2.5 माइक्रोमीटर या उससे कम होता है। ये कण श्वसन तंत्र में गहराई तक प्रवेश कर सकते हैं और गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं, जैसे दमा, हृदय रोग, फेफड़ों की बीमारियां और यहां तक कि कैंसर का भी कारण बन सकते हैं।
प्रमुख बिंदु जो रिपोर्ट में सामने आए:
-
बर्नीहाट (झारखंड-असम सीमा): देश का सबसे प्रदूषित शहर, जहां पीएम 2.5 स्तर सबसे ज्यादा पाया गया।
-
दिल्ली: लगातार दूसरी बार शीर्ष 3 सबसे प्रदूषित शहरों में। खराब वायु गुणवत्ता की वजह से स्वास्थ्य पर गहरा असर।
-
हाजीपुर (बिहार): तीसरे स्थान पर रहा, जो राज्य के लिए चिंता का विषय बन गया है।
-
अन्य प्रमुख प्रदूषित शहरों में गाजियाबाद, पटना, फरीदाबाद, लुधियाना और कानपुर भी शामिल हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक मुख्य कारण:
-
कोयले और डीजल आधारित उद्योगों और संयंत्रों से उत्सर्जन
-
वाहनों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी और ट्रैफिक जाम
-
कचरा जलाना और निर्माण कार्यों से धूल का उड़ना
-
हरियाली की कमी और पर्यावरणीय नीतियों का सही क्रियान्वयन न होना
विशेषज्ञों की राय
CREA के शोधकर्ताओं का कहना है कि
“वायु प्रदूषण अब केवल दिल्ली या उत्तर भारत की समस्या नहीं रह गई है, यह अब देशव्यापी संकट बन चुका है। अगर अब भी राज्यों और केंद्र सरकार ने ठोस कदम नहीं उठाए तो आने वाले वर्षों में स्वास्थ्य आपातकाल जैसे हालात बन सकते हैं।”
समाधान के लिए सुझाए गए कदम:
-
नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा
-
वाहनों के उत्सर्जन मानकों को सख्ती से लागू करना
-
शहरों में हरित क्षेत्र विकसित करना
-
निर्माण कार्यों और औद्योगिक इकाइयों पर प्रदूषण नियंत्रण उपाय लागू करना
-
सार्वजनिक परिवहन को सशक्त बनाना

