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GANGANAGAR  नोहर के एक अधिकारी ने बनाई गोबर से भगवान गणेश की प्रतिमा, चित्तौड़ में मंदिर में स्थापित किए

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राजस्थान न्यूज़ डेस्क !!! हनुमानगढ़ जिले के नोहर में कृषि उपज मंडी समिति सचिव के पद पर नियुक्त पंडित विष्णुदत्त शर्मा। गाय की महत्ता बनाए रखने के लिए वे प्रतिवर्ष गोबर से गणेश बनाते हैं। लोगों को भेंट करते हैं ताकि वे गोबर के गणेश की पूजा कर सकें। पंडित शर्मा बताते हैं कि उन्हें सटीक अनुमान तो नहीं हैं कि वे अब तक कितने गोबर गणेश बना चुके हैं लेकिन मोटे तौर पर यह आंकड़ा 25 हजार से ज्यादा होगा।वे बताते हैं कि उन्हें शुरू से ही गाय से प्रेम रहा है। ऐसे में गाय की महत्ता बनाए रखने के लिए उन्होंने गौ उत्पाद तैयार करने शुरू किए और फिर गणेशोत्सव में गाय के गोबर से गणेश जी बनाने शुरू किए। शुरू में दो-तीन गणपति बनाए और लोगों ने इन्हें पसंद किया तो फिर यह सिलसिला ही चल पड़ा। जयपुर के आसलपुर जोबनेर के रहने वाले पंडित शर्मा ने यह शुरुआत पांव वर्ष पहले की थी। तब वे गौ उत्पाद तो तैयार करते थे, लेकिन गाय की महत्ता जन-जन तक पहुंचाने के लिए उन्होंने कोई नया तरीका निकालने की सोची। इसके लिए सबसे पहले गोबर से गणपति बनाए।

इ्रन्हें लोगों ने इतना पसंद किया कि पंडित शर्मा ने और ज्यादा प्रतिमाएं तैयार करने की सोची। सूत्रों के अनुसार बताया जा रहा है कि,पंडित शर्मा बताते हैं कि उन्होंने चित्तौड़गढ़ में नीलिया महादेव मंदिर और गौ शाला में ग्यारह फीट के गोबर के गणपति स्थापित किए। इसके अलावा हनुमानगढ़ जिले के गांव धानसिया में एक हनुमान मंदिर में हनुमान जी की गोबर की प्रतिमा के साथ द्वार पर गोबर की गणेश जी स्थापित किए गए।  दो हजार वर्ष 2019 में हुए कुंभ मेले में साधु संतों को भेंट किए। इसके अलावा घरों में स्थापित करने के लिए भी गोबर के गणपति बनाकर दिए। ये गोबर के गणपति लोगों ने अब भी घरों में स्थापित किए हुए हैं। खबरों से प्राप्त जानकर के अनुसार बताया जा रहा है कि,अब तक आपने सोने, चांदी और अन्य धातुओं तथा मिट्टी और प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी गणपति की प्रतिमाएं तो देखी होंगी लेकिन हम आपको मिलवाने जा रहे हैं ऐसे व्यक्ति से जो गोबर से गणेश बनाता है।

पंडित शर्मा बताते हैं कि इन दिनों प्लास्टर ऑफ पेरिस के गणपति बन रहे हैं लेकिन परम्परा के अनुसार मिट्‌टी या गोबर के गणेश ही बनने चाहिए। ये गोबर गणेश धार्मिक परम्परा के अनुसार तो सही हैं ही इसके अलावा इससे गाय की महत्ता भी बढ़ती है। गाय का महत्व बनाए रखने के लिए ही उन्होंने यह परम्परा शुरू की है। पंडित शर्मा ने इन दिनों जयपुर में गोबरिया गणेश का पंडाल सजाया हुआ है।  धातु से गणेश प्रतिमाएं बनाने में भी सोने और चांदी की प्रतिमाएं बनती हैं। ये दोनों धातु लक्ष्मी का प्रतीक है। वहीं गोबर तो लक्ष्मी ही माना गया है। कहा भी गया है। गोमय वसते लक्ष्मी। इसीलिए उन्होंने गोबर के गणेश बनाने शुरू किए।

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