सुरक्षित हिंद-प्रशांत की दिशा में नौसेना का शीर्ष-स्तरीय अंतरराष्ट्रीय संपर्क

नई दिल्ली, 14 नवंबर (आईएएनएस)। समुद्री कनेक्टिविटी की गुत्थियां, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री कनेक्टिविटी पर चीन का प्रभाव, नौवहन और व्यापार के माध्यम से समुद्री कनेक्टिविटी जैसी चर्चाओं के माध्यम से भारतीय नौसेना हिंद-प्रशांत समुद्री व्यापार और कनेक्टिविटी पर भू-राजनैतिक प्रभावों का पता लगाएगी।
इसके लिए भारतीय नौसेना का वार्षिक शीर्ष-स्तरीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन 'हिंद-प्रशांत क्षेत्रीय संवाद' (आईपीआरडी) आयोजित किया जा रहा है।आईपीआरडी रणनीतिक स्तर पर नौसेना की अंतरराष्ट्रीय भागीदारी की प्रमुख अभिव्यक्ति है, जो हिंद-प्रशांत क्षेत्र में ‘समग्र’ समुद्री सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर ध्यान केन्द्रित करती है। यह संवाद 15 से 17 नवंबर 2023 के दौरान नई दिल्ली में होगा।
आईपीआरडी-2023 का व्यापक विषय “हिंद-प्रशांत समुद्री व्यापार और कनेक्टिविटी पर भू-राजनैतिक प्रभाव” है। आईपीआरडी का इस वर्ष का संस्करण पिछले संस्करण पर आधारित है, जो विशेष रूप से “हिंद-प्रशांत महासागर पहल (आईपीओआई) के ‘व्यापार, कनेक्टिविटी और समुद्री परिवहन’ स्तंभ पर ध्यान केन्द्रित करके आईपीओआई को संचालित करने” पर केन्द्रित था।
निस्संदेह, ‘व्यापार’ और ‘समुद्री परिवहन’ दोनों समुद्री कनेक्टिविटी के खंड हैं। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक आईपीआरडी, गोवा मैरीटाइम कॉन्क्लेव 2023 के अनुसरण में है। यह कॉन्क्लेव भारतीय नौसेना द्वारा 29 से 31 अक्टूबर 2023 के दौरान गोवा में आयोजित किया गया था। वैचारिक दृष्टि से, गोवा मैरीटाइम कॉन्क्लेव का उद्देश्य हिंद महासागर क्षेत्र में नौसेना प्रमुखों और समुद्री एजेंसियों के प्रमुखों को एक मंच प्रदान करके रणनीतिक-परिचालन स्तर पर भारतीय नौसेना की सहकारी भागीदारी को पेश करना था।
आईपीआरडी के पहले दो संस्करण क्रमश: 2018 और 2019 में नई दिल्ली में आयोजित किए गए थे। आईपीआरडी 2020 को कोविड-19 के प्रकोप के कारण रद्द कर दिया गया था। आईपीआरडी का तीसरा संस्करण 2021 में ऑनलाइन मोड में आयोजित किया गया था और चौथा संस्करण 2022 में नई दिल्ली में भौतिक प्रारूप में आयोजित किया गया था। इस बार केस कार्यक्रम में 15 नवंबर को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ अपने विचार रखेंगे।
नेशनल मैरीटाइम फाउंडेशन (एनएमएफ) भारतीय नौसेना का ज्ञान संबंधी भागीदार और आईपीआरडी के प्रत्येक संस्करण का मुख्य आयोजक है, जिसका उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र के भीतर विभिन्न समुद्री रुझानों, क्षेत्रीय अवसरों और वहां उत्पन्न होने वाली चुनौतियों की समीक्षा करना और प्रमुख हितधारकों के बीच समाधान-उन्मुख संवाद के आदान-प्रदान को बढ़ावा देना है।
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक आईपीआरडी-2023, तीन-दिवसीय अवधि में विस्तृत छह पेशेवर सत्रों के माध्यम से हिंद-प्रशांत समुद्री व्यापार और कनेक्टिविटी पर भू-राजनैतिक प्रभावों का पता लगाएगा।
इन सत्रों में समुद्री कनेक्टिविटी की गुत्थियां (नोड्स), हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री कनेक्टिविटी पर चीन का प्रभाव, नौवहन और व्यापार के माध्यम से समुद्री कनेक्टिविटी, नौवहन और व्यापार के माध्यम से समुद्री कनेक्टिविटी (भाग-2), हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री व्यापार और नौवहन की संरक्षा एवं सुरक्षा में निजी उद्योग और नियमों पर आधारित, संरक्षित एवं सुरक्षित हिंद-प्रशांत क्षेत्र की व्यवस्था को बनाए रखना शामिल है।
आईपीआरडी 2023 में अंतरराष्ट्रीय भागीदारी 16 देशों के प्रतिष्ठित वक्ताओं के माध्यम से होगी। इन वक्ताओं की ओर से इस विषय पर विविध क्षेत्रीय दृष्टिकोणों को पेश किए जाने की उम्मीद है। साथ ही, नई दिल्ली स्थित विभिन्न दूतावासों और उच्च आयोगों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति भी होगी।
--आईएएनएस
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