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दुमका के फूलो झानो मेडिकल कॉलेज में छात्र आंदोलन पर उतरे, ओपीडी सेवा ठप कराई

दुमका, 16 अप्रैल (आईएएनएस)। झारखंड के दुमका स्थित फूलो झानो मेडिकल कॉलेज में पानी-बिजली से जुड़ी परेशानियों से जूझ रहे छात्र-छात्राओं ने बुधवार को अस्पताल की ओपीडी सेवा पूरी तरह ठप करा दी और कॉलेज परिसर में धरने पर बैठ गए।
दुमका के फूलो झानो मेडिकल कॉलेज में छात्र आंदोलन पर उतरे, ओपीडी सेवा ठप कराई

दुमका, 16 अप्रैल (आईएएनएस)। झारखंड के दुमका स्थित फूलो झानो मेडिकल कॉलेज में पानी-बिजली से जुड़ी परेशानियों से जूझ रहे छात्र-छात्राओं ने बुधवार को अस्पताल की ओपीडी सेवा पूरी तरह ठप करा दी और कॉलेज परिसर में धरने पर बैठ गए।

उन्होंने सोमवार और मंगलवार को भी इस मुद्दे पर कॉलेज परिसर में बाल्टी-बर्तन लेकर प्रदर्शन किया था। छात्रों का कहना है कि तीन दिन से हॉस्टल में पानी नहीं आ रहा है। बिजली आपूर्ति की स्थिति भी बेहद खराब है। हॉस्टल के तमाम कमरों की वायरिंग से लेकर स्विच बोर्ड तक उखड़ गए हैं। पानी नहीं आने से उनके लिए नहाना और कपड़े धोना मुश्किल हो गया है।

छात्रों का कहना है कि कॉलेज की लिफ्ट पिछले एक साल से अधिक समय से खराब है। इससे चार मंजिल तक जाने में काफी परेशानी होती है। ये समस्याएं एक-डेढ़ साल से चली आ रही हैं। हॉस्टल की अव्यवस्थाओं को लेकर उन्होंने पूर्व में कई बार मेडिकल कॉलेज प्रबंधन के साथ-साथ जिला प्रशासन का भी ध्यान आकृष्ट कराया है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।

बुधवार को कॉलेज के छात्र-छात्राएं तख्तियां लेकर अस्पताल परिसर में धरने पर बैठ गए। उन्होंने कॉलेज प्रबंधन, स्वास्थ्य विभाग और झारखंड सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। इस बीच कुछ छात्रों ने फोन पर राज्य के स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी से बात की। उन्होंने आश्वस्त किया है कि वे एक टीम कॉलेज भेज रहे हैं, जो परिसर का निरीक्षण कर समस्याएं दूर करने के लिए आवश्यक कदम उठाएगी।

छात्रों का कहना है कि जब तक उनकी परेशानी दूर नहीं होती, उनका आंदोलन जारी रहेगा। मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. अरुण कुमार चौधरी ने कहा है कि समस्याओं के समाधान के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।

बहरहाल, ओपीडी सेवा ठप रहने से बुधवार को सैकड़ों लोगों को इलाज कराए बगैर लौटना पड़ा। हालांकि, इमरजेंसी और इनडोर सेवाएं जारी हैं। धरना पर बैठे छात्र-छात्राओं का कहना है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को कॉलेज कैंपस का निरीक्षण करना चाहिए। वे खुद यहां आकर देखें कि हम लोग किस हाल में रह रहे हैं।

--आईएएनएस

एसएनसी/एबीएम

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