विशेष रूप से, भारतीय मूल के खिलाड़ियों सहित कई दक्षिण एशियाई ने इंग्लैंड की जूनियर टीमों का प्रतिनिधित्व किया है, लेकिन सिंह उन चुनौतियों से अच्छी तरह वाकिफ हैं, जिनका उनके बेटे को सामना करना पड़ेगा।उनके बेटे हैरी ने लंकाशायर 2 के लिए बल्लेबाजी की शुरूआत की।आरपी सिंह ने आगे कहा, यह आसान नहीं है, शीर्ष स्तर पर खिलाड़ी बनाने के लिए आपको थोड़े से भाग्य और बहुत सारे रनों की आवश्यकता होती है। मैंने 90 के दशक में कई क्रिकेटरों को देखा है जो घरेलू क्रिकेट में अच्छा प्रदर्शन करते थे लेकिन जब वे भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व करते थे तो वे काफी असफल रहे। जैसे-जैसे हैरी बड़ा होगा, उसे वो तकनीकी समायोजन करने होंगे जो हर क्रिकेटर करता है।हैरी ने आठ साल की उम्र में क्रिकेट खेलना शुरू किया था। वह फुटबॉल में भी अच्छा था लेकिन जैसे-जैसे वह बड़ा होता गया, उसकी क्रिकेट में रुचि बढ़ती गई। तभी परिवार ने फैसला किया कि उसका इकलौता बेटा अपने पिता की कोचिंग में क्रिकेट खेलेगा।
उन्होंने कहा, वह तेज गेंदबाजी करता था लेकिन मुझे पता है कि तेज गेंदबाजी और ओपनिंग बल्लेबाजी एक साथ करना मुश्किल है। इसलिए मैंने उसे बल्लेबाजी जारी रखने का फैसला किया और अब वह ऑफ स्पिन गेंदबाजी भी करता है। यह अभी भी एक लंबी यात्रा है लेकिन उसने जीत हासिल की है।आगे बढ़ते हुए, उनके कोच ने हैरी को मुंबई में दिलीप वेंगसरकर अकादमी भेजने का फैसला किया है, जहां वह भारत के पूर्व कप्तान के मार्गदर्शन में प्रशिक्षण लेंगे। सिंह के अनुसार, हैरी को एक ऐसा ऑलराउंड क्रिकेटर बनाने का विचार है जो हर तरह की प्रारूपों पर खरा उतर सके।सिंह ने कहा, उसे बल्लेबाजी के गुर सीखने होंगे और वह ऐसा तभी कर सकता है जब वह भारत आ जाएगा।
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--आईएएनएस
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