Independence Day 2024: वीडियो में करें तिरंगे के रंग में सजे खाटू श्याम के दर्शन...कोलकाता-दिल्ली से आए 100 किलो फूलो से हुआ भव्य श्रृंगार
भारत में लाखों मंदिर हैं। हर मंदिर के निर्माण के पीछे कोई न कोई रहस्य छिपा होता है। ऐसा ही एक रहस्यमय और चमत्कारी मंदिर है खाटू श्याम मंदिर। राजस्थान के सीकर जिले में स्थित यह मंदिर बहुत प्रसिद्ध है। आज लाखों लोग न सिर्फ खाटू बाबा की पूजा करते हैं, बल्कि हर मौके पर यहां भक्तों की भीड़ उमड़ती है। मान्यता है कि जो लोग यहां आकर भगवान खाटू के दर्शन कर लेते हैं, उनके जीवन की हर समस्या दूर हो जाती है।
बता दें कि बाबा को हारे का सहारा कहा जाता है। इसीलिए लोग यहां अपनी समस्याएं लेकर आते हैं। खाटू श्याम बाबा मंदिर से जुड़ी कई बातों के बारे में आपने सुना होगा। लेकिन आज हम आपको खाटू श्याम मंदिर से जुड़ी रोचक और रहस्यमयी बातों के बारे में बताते हैं। आज पूरा भारत खाटू श्याम बाबा को पूजता है, दरअसल वो श्री कृष्ण के कलयुग अवतार हैं। इसीलिए उनका जन्म भी कार्तिक शुक्ल देवउठनी ग्यारस के दिन मनाया जाता है। इस दिन परिसर में एक विशाल मेला लगता है, जो ग्यारस मेले के नाम से जाना जाता है।
दरअसल, द्वापर या महाभारत काल में खाटू श्याम बाबा को बर्बरीक के नाम से जाना जाता था। वह तीन बाणों वाला एक शक्तिशाली योद्धा था। वह पांडव पुत्र भीम का पोता और घटोत्कच का पुत्र था। बर्बरीक की माता का नाम हिडिम्बा था. कहा जाता है कि महाभारत के दौरान श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से दान मांगा था। बर्बरीक ने बिना सोचे अपना शीश उन्हें दे दिया। तब श्रीकृष्ण प्रसन्न हुए और उन्हें वरदान दिया कि कलयुग में तुम मेरे नाम से जाने जाओगे। यदि कोई भटका हुआ भक्त आपके पास आएगा तो आप उसका सहारा बनेंगे। इसीलिए इन्हें हारे का सहारा कहा जाता है।
पौराणिक कथा के अनुसार, महाभारत का युद्ध समाप्त होते ही भगवान कृष्ण ने बर्बरीक का सिर रूपवती नदी में फेंक दिया था। जिसके बाद इसे खाटू गांव की जमीन में दफना दिया गया। एक दिन एक गाय वहां से गुजरी और उसके थन से अपने आप दूध निकलने लगा। यह देखकर गांव वाले हैरान रह गए और यह खबर खाटू राजा को दी गई।
जब खाटू के राजा इसे देखने के लिए उस स्थान पर पहुंचे तो उन्हें याद आया कि कुछ दिन पहले भी उन्होंने सोते समय ऐसा ही सपना देखा था। भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें स्वप्न में आदेश दिया कि शीश एक स्थान पर जमीन में गड़ा हुआ है और उस जमीन से शीश निकालकर खाटू गांव में एक मंदिर बनाया जाए। जिसके बाद खाटू राजा ने उस स्थान को खोदने का आदेश दिया और जमीन से एक शीश निकला। शीश निकलने के बाद राजा ने उस शीश को खाटू में एक स्थान पर स्थापित कर मंदिर बनवाया। आज वह मंदिर पूरे भारत में बाबा खाटू श्याम के नाम से प्रसिद्ध है।