दो बार टलने के बाद अब इस दिन होगा SpaDeX Mission का डॉकिंग प्रयोग, जाने भारत के लिए कैसे साबित होगा गेम चेंजर
विज्ञान न्यूज़ डेस्क - भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने गुरुवार को कहा कि उसने अपने महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष डॉकिंग प्रयोग (स्पाडेक्स) के दौरान उपग्रहों के बीच विचलन को दूर कर लिया है। साथ ही उसने यह भी कहा कि अंतरिक्षयानों को एक-दूसरे के करीब आने के लिए धीमी विचलन मुद्रा में रखा गया है। इसरो के अनुसार, प्रयोग के शुक्रवार को प्रारंभिक स्थिति में पहुंचने की उम्मीद है।अंतरिक्ष एजेंसी ने एक बयान में स्पाडेक्स डॉकिंग अपडेट के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी साझा की। बयान के अनुसार, 'विचलन को दूर कर लिया गया है और अंतरिक्षयानों को एक-दूसरे के करीब आने के लिए धीमी विचलन मुद्रा में रखा गया है। कल तक, इसके प्रारंभिक स्थिति में पहुंचने की संभावना है।'
नियोजित डॉकिंग को स्थगित करना पड़ा
इसरो ने अंतरिक्ष में दो उपग्रहों को जोड़ने से संबंधित स्पाडेक्स प्रयोग को दो बार (7 जनवरी और 9 जनवरी को) स्थगित किया है। प्रयोग को स्थगित करने के पीछे का कारण बताते हुए इसरो ने गुरुवार को कहा कि उपग्रहों के बीच 225 मीटर की दूरी तक पहुंचने का अभ्यास करते समय अदृश्य अवधि के बाद के समय में विचलन अपेक्षा से अधिक पाया गया।इसरो ने कहा कि नियोजित डॉकिंग को स्थगित कर दिया गया है और उपग्रह पूरी तरह सुरक्षित हैं। अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि स्पैडेक्स एक महत्वपूर्ण परियोजना है जिसे दो छोटे उपग्रहों का उपयोग करके अंतरिक्ष यान के मिलन, डॉकिंग और अनडॉकिंग के लिए आवश्यक तकनीक विकसित करने और प्रदर्शित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
भारत के लिए मील का पत्थर साबित होगा
इसने कहा, 'स्पेस डॉकिंग में भारत की क्षमताओं को आगे बढ़ाने में स्पैडेक्स प्रयोग एक मील का पत्थर साबित होगा। अंतरिक्ष डॉकिंग उपग्रहों की मरम्मत-रखरखाव, अंतरिक्ष स्टेशन के संचालन और अंतरग्रहीय मिशनों सहित भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों के लिए एक महत्वपूर्ण तकनीक है।'यह तकनीक भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, जैसे कि चंद्रमा पर उतरना, चंद्रमा से नमूने लाना, भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (बीएएस) का निर्माण और संचालन आदि।