रक्षामंत्री ने रणनीतिक महत्व की 125 परियोजनाएं राष्ट्र को सौंपी 28 सड़कें, 93 पुल शामिल
नई दिल्ली, 7 दिसंबर (आईएएनएस) लद्दाख में दारबुक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी रोड पर निर्मित, 900 मीटर लंबी श्योक टनल शुरू की गई है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लद्दाख में श्योक टनल के साथ-साथ यहां से सीमा सड़क संगठन की 125 रणनीतिक महत्व की अवसंरचना परियोजनाओं को राष्ट्र को समर्पित किया है।
इन परियोजनाओं में 28 सड़कें, 93 पुल और 04 अन्य सामरिक अवसंरचना परियोजनाएं शामिल हैं। ये परियोजनाएं 7 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों में फैली हुई हैं। 920 मीटर लंबी श्योक टनल को रक्षा मंत्री ने दुनिया के सबसे कठिन और चुनौतीपूर्ण इलाकों में निर्मित इंजीनियरिंग मार्वल बताया।
उन्होंने बताया कि यह टनल भारी बर्फबारी, हिमस्खलन और अत्यधिक तापमान वाले इस क्षेत्र में सुरक्षा, मोबिलिटी और विशेषकर कड़ाके की ठंड के दौरान सैन्य तैनाती क्षमता को भी कई गुना बढ़ाएगी। इस अवसर पर रक्षा मंत्री ने कहा, "ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, हमारे सशस्त्र बलों और सिविल प्रशासन के साथ, बॉर्डर एरिया के नागरिकों का जो समन्वय देखने को मिला, वह भी शानदार था। मैं लद्दाख के साथ-साथ बॉर्डर एरिया के हर नागरिक को हमारे सशस्त्र बलों का सहयोग देने के लिए आभार प्रकट करता हूं। यह समन्वय ही हमारी पहचान है। हमारा आपसी जुड़ाव ही हमें दुनिया में सबसे अलग पहचान दिलाता है।"
रक्षामंत्री ने कहा, “अभी कुछ ही महीने पहले हमने देखा, जब पहलगाम के दुर्दांत आतंकी हमले का जवाब देते हुए, हमारे सशस्त्र बलों ने ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया, और आतंकियों का क्या हश्र किया, यह दुनिया जानती है। वैसे करने को तो हम बहुत कुछ कर सकते थे, लेकिन हमारी सेनाओं ने पराक्रम के साथ-साथ धैर्य का भी परिचय देते हुए, उतना ही किया जितना आवश्यक था। इतना बड़ा ऑपरेशन इसलिए संभव हो पाया, क्योंकि हमारी कनेक्टिविटी मजबूत थी। हमारे सशस्त्र बलों के पास, सही समय पर लॉजिस्टिक को पहुंचाया जा सका। बॉर्डर एरिया के साथ भी हमारी कनेक्टिविटी बनी रही। जिसने ऑपरेशन सिन्दूर को ऐतिहासिक सफलता दी।”
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने बताया कि लद्दाख के साथ-साथ आज जम्मू कश्मीर, चंडीगढ़, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम, पश्चिम बंगाल, अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम में भी अन्य परियोजनाएं राष्ट्र को समर्पित की जा रही हैं। लगभग 5,000 करोड़ रुपये की लागत से पूरे हुए ये 125 प्रोजेक्ट्स बीआरओ के इतिहास में अब तक का सबसे हाईएस्ट-वैल्यू इनॉगरेशन है। इतनी बड़ी संख्या में, यानी 125 इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट की शुरुआत एक साथ कभी भी नहीं हुई। यह अपने आप में बीआरओ के लिए और हम सबके लिए एक बड़ी उपलब्धि है। यह उपलब्धि एक तरफ तो विकसित भारत के संकल्प का प्रमाण है, तो वहीं दूसरी तरफ ये प्रोजेक्ट बॉर्डर इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने की हमारी सरकार के कमिटमेंट का भी एक सजीव उदाहरण है।
उन्होंने कहा, “मुझे याद है, इसी वर्ष मई महीने में, हमने 50 परियोजनाएं राष्ट्र को समर्पित की थीं। मुझे उस समय भी बड़ी खुशी हुई थी। आज आपने इस ऐतिहासिक पड़ाव के साथ, मेरी खुशी को कई गुना बढ़ा दिया है। पिछले कुछ वर्षों में बीआरओ ने जिस तेजी से सीमावर्ती इलाकों में इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास किया है, उसने राष्ट्रीय विकास को भी बड़ी तेजी प्रदान की है। स्वदेशी समाधान के माध्यम से, जटिल प्रोजेक्ट को भी सफलतापूर्वक पूरा कर, बीआरओ आज ‘संचार’ और ‘कनेक्टिविटी’ के पर्याय के रूप में उभर चुका है।”
राजनाथ सिंह ने कहा कि हमारा हमेशा यह प्रयास रहा है कि लद्दाख समेत जितने भी बॉर्डर एरिया हैं, उनके साथ हमारा कम्युनिकेशन और कनेक्टिविटी और अधिक मजबूत हो। इसका एक और उदाहरण यदि मैं आपके सामने दूं, तो अभी हाल ही में चाणक्य डिफेंस डायलॉग के दौरान मैंने लद्दाख में 200 किलोवाट के ग्रीन हाइड्रोजन आधारित पावर प्लांट का उद्घाटन किया, जो इस क्षेत्र के साथ-साथ आसपास के क्षेत्रों के लिए भी बहुत लाभकारी होगा।
उन्होंने कहा, "हमारी सेनाओं के बहादुर जवान और आप जैसे बीआरओ के सभी कर्मी देश के लिए लगातार काम कर रहे हैं। किसी भी मौसम में, किसी भी स्थिति में काम करते रहने की आपकी जो भावना है, उसी का यह परिणाम है कि आज हमारा देश लगातार नई ऊंचाइयां छू रहा है। 2014 तक जहां भारत के पास 97 हजार किलोमीटर तक के नेशनल हाइवे थे, वहीं आज इनकी संख्या बढ़कर लगभग 1.5 लाख किलोमीटर तक हो चुकी है। 2014 में भारत के पास जहां सिर्फ 74 एयरपोर्ट थे, वहीं आज इनकी संख्या दो गुनी से भी ज्यादा बढ़ चुकी है। कुल मिलाकर साथियों, आपकी सफलता उसी पर टिकती है कि आपने कितना श्रम किया।"
--आईएएनएस
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