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न OTP दिया और न कोई स्कैम कॉल, फिर भी खाते से उड़ गए लाखों रूपए,2 मिनट के इस वीडियो में देखें कैसे एक इंजीनियर पुलिसवाले सुलझाया केस

10 फरवरी 2006... वो तारीख जिसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया। दोपहर के करीब 11-12 बजे का समय रहा होगा और स्थान था केरल के कोल्लम जिले का आंचल गांव। यहां एक महिला और उसके 17 दिन के जुड़वां बच्चों की घर के अंदर बेरहमी से हत्या कर दी....
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तुमकुरु... बेंगलुरू से लगभग 76 किलोमीटर दूर एक छोटा सा शहर, जो अपने नारियल के पेड़ों और कुछ प्राचीन स्मारकों के लिए जाना जाता है। साल 2020 में इस शहर से कुछ ऐसी घटनाएं सामने आईं, जिसने पुलिस अफसरों को भी हैरान कर दिया। ऐसे समय में जब देश में कोविड महामारी के कारण लोग अपने घरों तक ही सीमित थे, अचानक यहां स्कीमिंग की घटनाएं होने लगीं। स्कीमिंग का मतलब है वह तरीका जिसमें एटीएम मशीनों में एक विशेष डिवाइस लगाकर पहले लोगों के डेबिट कार्ड की जानकारी चुराई जाती है और फिर उनके पैसे निकाल लिए जाते हैं।

बात नवंबर 2020 की है, जब लॉकडाउन हटने के बाद देशभर में हालात सामान्य होने लगे थे। तुमकुरु में 63 से अधिक लोगों ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई कि उनकी जानकारी के बिना उनके बैंक खातों से पैसे निकाल लिए गए। पुलिस ने जांच की तो पता चला कि महज दो दिन के अंदर अलग-अलग खातों से करीब 30 लाख रुपये निकाले जा चुके हैं।

विभिन्न शहरों से निकाली गई राशि
पूछताछ के दौरान सभी पीड़ितों ने बताया कि न तो उन्होंने ओटीपी किसी के साथ साझा किया और न ही उन्हें कोई धोखाधड़ी वाला कॉल आया। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस को शुरुआती जांच में पता चला है कि यह रकम बेंगलुरु, दिल्ली, चेन्नई और देश के कुछ अलग-अलग शहरों के एटीएम से निकाली गई है। अब इस मामले की गहराई में जाने के लिए एक टीम गठित की गई।

पीड़ितों से पूछताछ और एटीएम के सीसीटीवी फुटेज की जांच के बाद पुलिस को सुराग मिला। पता चला कि अफ्रीकी मूल का एक व्यक्ति भीमसांद्रा क्षेत्र में एक एटीएम पर कुछ मिनट के लिए रुका था और 30 घंटे बाद फिर उसी एटीएम पर आया था। कुछ सीसीटीवी फुटेज से यह भी पता चला कि यह व्यक्ति कार में आया था।

इंजीनियर पुलिसकर्मी का विचार काम कर गया।
अब पुलिस ने आस-पास के सीसीटीवी कैमरे चेक किए और कई फुटेज देखने के बाद कार का रजिस्ट्रेशन नंबर पता चल गया। यह नंबर नितिन गुप्ता नामक व्यक्ति के नाम पर पंजीकृत था। इसके अलावा पुलिस के पास कोई जानकारी नहीं थी। डर था कि बिना ठोस सबूत के आगे बढ़ने से अपराधी सतर्क हो जाएंगे और ऐसे में जांच धीमी हो रही थी।

इसी दौरान 2017 बैच के पुलिस कांस्टेबल केयू हरीश को एक तरकीब सूझी। हरीश ने इंजीनियरिंग भी की थी। उन्होंने अधिकारियों से उन सभी मोबाइल नंबरों की सूची बनाने को कहा जो उन स्थानों पर सक्रिय थे जहां से पैसा निकाला गया था। हरीश के आइडिया पर जांच आगे बढ़ी और 'टावर डंपिंग' के जरिए 500 मीटर के दायरे में सभी सक्रिय फोन नंबरों की सूची तैयार की गई।

पुलिस ने मजदूर बनकर जुटाए सुराग
दिल्ली, चेन्नई और मुंबई से नंबर निकालने के बाद पुलिस के पास मोबाइल नंबरों का भारी मात्रा में डेटा था। जांच में पता चला कि इन सभी स्थानों पर तीन फोन नंबर सक्रिय थे। यह इस मामले में एक महत्वपूर्ण सुराग था। जांच में पता चला कि इनमें से दो नंबर बंद हैं और तीसरा नंबर कभी-कभी चालू रहता था। दिसंबर 2020 के पहले सप्ताह में, तुमकुरु से 166 किलोमीटर दूर कोलार जिले के मुलबागल के पास वही मोबाइल नंबर सक्रिय हो गया।

पुलिस ने इस नंबर पर नजर रखनी शुरू कर दी। मोबाइल नंबर का इस्तेमाल करने वाले लोग लगातार घूमते रहते थे। पुलिस ने दो वाहनों में कई दिनों तक उनका पीछा किया। जिनका पीछा किया जा रहा था वे पहले बेंगलुरु, फिर चेन्नई और अंत में चेन्नई के बाहरी इलाके ताम्बरम में पहुंच गए। यहां ये लोग एक घर में रुके थे। अब पुलिस टीम ने मजदूरों का वेश बदल लिया और सुराग जुटाने लगी।

एक राज्य में कार्ड स्कैन करना, दूसरे में पैसा निकालना
उस घर में पाँच से अधिक गरीब अफ्रीकी लोग रह रहे थे। ऐसे में पुलिस ने इंतजार किया और अगले दिन जब उनमें से एक अपनी कार में निकला तो पुलिस टीम ने उसे पकड़ लिया। इसके बाद दूसरे अफ़्रीकी को भी जल्द ही गिरफ्तार कर लिया गया। दोनों की पहचान 24 वर्षीय इवान काबोंगे और 31 वर्षीय लॉरेंस मकामू के रूप में हुई है, जो राजपुर, नई दिल्ली के निवासी हैं।

इवान केन्या से थे और मकामु युगांडा से थे। ये दोनों छात्र वीजा पर भारत आए थे और यहां निर्धारित अवधि से अधिक समय तक रह रहे थे। जीविका चलाने के लिए ये लोग एटीएम से पैसे निकालते थे। जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि ये लोग एक्सपायर हो चुके डेबिट कार्ड खरीदते थे और एटीएम कियोस्क में स्कीमिंग मशीन लगाकर डेबिट कार्ड की क्लोनिंग करते थे। वे एक राज्य में डेबिट कार्ड को स्कैन करते थे और दूसरे राज्य में पैसा निकाल लेते थे।

डेबिट कार्ड का डेटा कैसे चुराया गया?
पुलिस के अनुसार, दोनों ने कीपैड के ऊपर एक पिनहोल कैमरा और कार्ड स्वाइपिंग क्षेत्र में एक स्कीमिंग डिवाइस लगा रखा है। ये डिवाइस डेबिट कार्ड का डेटा चुरा लेते हैं। उस समय प्रयुक्त डेबिट कार्ड चुंबकीय पट्टी स्वाइप तकनीक पर आधारित थे। बाद में बैंकों ने एटीएम कार्ड में चुंबकीय पट्टी का प्रयोग बंद कर दिया तथा स्कीमिंग को रोकने के लिए माइक्रोचिप प्रौद्योगिकी का प्रयोग शुरू कर दिया।

यह सब पुलिस को चकमा देने के लिए किया गया था। इन दोनों की गिरफ्तारी से कर्नाटक में दर्ज 65 से अधिक मामलों का खुलासा हुआ। तुमकुरु पुलिस ने अदालत में आरोपपत्र दाखिल किया। 30 दिसंबर 2024 को अदालत ने इवान और मकामू को दोषी पाया और उन्हें आठ साल के कारावास की सजा सुनाई।

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