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फास्ट फूड नहीं, स्लो पॉइजन है मोमोज, जो चुपचाप बिगाड़ रहा है आपकी सेहत

नई दिल्ली, 5 नवंबर (आईएएनएस)। मोमोज नाम सुनते ही मुंह में पानी आता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये छोटा सा सफेद दिखने वाला मोमोज आपके सेहत के लिए काल है और भविष्य धीरे-धीरे बर्बाद कर रहा है? ये खाने में भले ही बहुत स्वादिष्ट होते हैं, लेकिन धीरे-धीरे आपके शरीर को बीमारियों का घर बना देते हैं।
फास्ट फूड नहीं, स्लो पॉइजन है मोमोज, जो चुपचाप बिगाड़ रहा है आपकी सेहत

नई दिल्ली, 5 नवंबर (आईएएनएस)। मोमोज नाम सुनते ही मुंह में पानी आता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये छोटा सा सफेद दिखने वाला मोमोज आपके सेहत के लिए काल है और भविष्य धीरे-धीरे बर्बाद कर रहा है? ये खाने में भले ही बहुत स्वादिष्ट होते हैं, लेकिन धीरे-धीरे आपके शरीर को बीमारियों का घर बना देते हैं।

मोमोज बनाने में सबसे पहले जिस चीज का इस्तेमाल किया जाता है, वह है मैदा। मैदा गेहूं से तैयार किया जाता है, लेकिन इसे रिफाइन करने की प्रक्रिया में इससे फाइबर और प्रोटीन पूरी तरह निकाल दिए जाते हैं।

इस प्रक्रिया के बाद जो बचता है, वह केवल डेड स्टार्च होता है। इस तरह का मैदा शरीर में एसिडिक प्रभाव पैदा करता है, जिससे यह हड्डियों में जाकर कैल्शियम को सोख लेता है और धीरे-धीरे उन्हें कमजोर बना देता है। इसके अलावा, मैदा पचाने में भी काफी मुश्किल होता है और यह आंतों में चिपककर ब्लॉकेज का कारण बन सकता है।

मार्केट में मिलने वाले मोमोज अक्सर सफेद और बेहद सॉफ्ट दिखाई देते हैं। इन्हें इस रूप में लाने के लिए दुकानदार इसमें ब्लीच, क्लोरीन गैस, बेंजोयल परॉक्साइड और एजो कार्बेमाइड जैसे रासायनिक पदार्थ मिलाते हैं। ये केमिकल्स किडनी और पैंक्रियास पर बुरा असर डालते हैं और डायबिटीज का खतरा बढ़ा सकते हैं।

इसके अलावा, मोमोज के साथ मिलने वाली तीखी लाल चटनी भी कम खतरनाक नहीं होती। इसे बनाने में अत्यधिक लाल मिर्च, सिरका और अन्य तीखे मसालों का प्रयोग किया जाता है, जो पाचन तंत्र पर बुरा प्रभाव डालते हैं। इसका अधिक सेवन करने से पाइल्स, गैस्ट्राइटिस, पेट और आंतों से ब्लीडिंग जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

सबसे चिंताजनक बात यह है कि कुछ जगहों पर बिकने वाले नॉन-वेज मोमोज में मांस की क्वालिटी सही नहीं होती है। वहीं, वेज मोमोज में भी कई बार सड़ी-गली या बासी सब्जियां मिलाई जाती हैं। ऐसे मोमोज शरीर में बैक्टीरिया और संक्रमण का खतरा बढ़ा देते हैं, जिससे फूड पॉइजनिंग और अन्य बीमारियां हो सकती हैं।

--आईएएनएस

पीआईएम/एबीएम

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