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“नॉर्मल टिकट से एसी यात्रा?  फैक दावों से तंग आकर रेलवे ने व्लॉगर्स के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की”

Railways

Southern Railway (सदरन रेलवे) ने सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे उन वीडियो और रील्स के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है, जिनमें यात्रियों को यह बताया जा रहा है कि सामान्य (नॉन-रिज़र्वेशन) टिकट लेकर वे एसी कोच में यात्रा कर सकते हैं। रेलवे अधिकारियों का कहना है कि यह पूरी तरह से ग़लत जानकारी है — और इससे यात्रियों के बीच भ्रम फैल रहा है। केरल के कोल्लम से आरंभ हुई इस कार्रवाई में, चेन्नई डिविजन ने उन व्लॉगर्स, कंटेंट क्रिएटर्स व लोगों की एक सूची बनाई है, जो रेलवे को आधिकारिक या विश्वसनीय स्रोत बताकर ऐसी भ्रामक बातें फैला रहे हैं।

उन वीडियो में यह दावा किया जा रहा है कि

  • सामान्य टिकट (नॉन-रिज़र्वेड) से एसी डिब्बे में चढ़ा जा सकता है। 

  • बिना रिज़र्वेशन यात्रा पर केवल ₹250 जुर्माना देना पड़ता है, जबकि टिकट अलग से नहीं खरीदी जाती।

  • प्लेटफार्म टिकट (station/ platform ticket) का होना जरूरी नहीं है। 

इन दावों के कारण असुविधा — और कई बार विवाद — सामने आ रहे थे: यात्रियों व रेलवे कर्मचारियों के बीच बहस, टिकट जांच में अव्यवस्था, और नियमों की अवहेलना। इस पर प्रतिक्रिया स्वरूप, रेलवे ने न केवल कानूनी कार्रवाई शुरू की है, बल्कि यात्रियों को जागरूक करने हेतु अभियान भी शुरू किया है। 

रेलवे का कहना है कि जिन व्लॉगर्स ने ये वीडियो बनाए और साझा किए हैं — उनमें कई की सोशल मीडिया पर लाखों फॉलोवर्स हैं। इसलिए, केवल झूठी सूचना देने भर की वजह से उनको नहीं छोड़ा जाएगा। एक–एक व्लॉगर की पहचान कर फ़ाइनल कार्रवाई की जाएगी। 

साथ ही, रेलवे ने यह भी स्पष्ट किया है कि स्टेशन परिसरों, प्लेटफार्म, डिपो, आदि में बिना अनुमति वीडियो या फोटो लेना गैर-कानूनी है। जो लोग बिना अनुमति रिकॉर्डिंग करते पाए जाएंगे, उनके खिलाफ भी नियमों के तहत सख्त दंड लागू किया जाएगा। यह कदम न केवल नियम उल्लंघन रोकने के लिए, बल्कि ट्रैक पार करना या अनधिकृत रूप से प्लेटफार्म पर आने वाले लोगों को रोके जाने के उद्देश्य से है। 

गलत सूचनाओं को नियंत्रित करने और यात्रियों के बीच भ्रम मिटाने के लिए, रेलवे ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म X पर एक “फैक्ट-चेक” हेंडल भी शुरू किया है। अब अगर किसी ने वायरल वीडियो या जानकारी को संदिग्ध पाया — तो वह सीधे रेलवे के इस हेंडल तक संदेश भेज सकता है। 

रेलवे अधिकारियों के मुताबिक, यह कार्रवाई यात्रियों और रेलवे दोनों के लिए महत्वपूर्ण है। ऐसे वीडियो न सिर्फ रेलवे नियमों का उल्लंघन बढ़ाते हैं, बल्कि आने-जाने वाले आम यात्रियों को असुविधा व दुविधा में डालते हैं। गलत सूचना की वजह से यात्रा असुरक्षित और अव्यवस्थित हो सकती है। इसलिए, फेक या भ्रामक कंटेंट सामने आने पर यात्रियों को भी सावधान रहने की सलाह दी जाती है।

इस पूरे प्रकरण से यह स्पष्ट हो गया है कि सोशल मीडिया पर वायरल हर चीज़ सच नहीं होती — ख़ासकर अगर वह रेलवे जैसे संवेदनशील सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था से जुड़ी हो। यात्रियों को चाहिए कि टिकट बुकिंग, रिज़र्वेशन, कोच आदि की जानकारी केवल आधिकारिक स्रोतों से ही लें — न कि सोशल मीडिया के अफवाह फैलाने वाले वीडियो या रील्स से।

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