2006 में स्वयं सहायता समूह के लिए विश्व बैंक से लिया था लोन, सहरसा में बोले सीएम नीतीश
सहरसा, 2 नवंबर (आईएएनएस)। बिहार के सहरसा में आयोजित चुनावी कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य में महिलाओं, अल्पसंख्यकों और ग्रामीण-शहरी विकास पर सरकार द्वारा किए गए कामों का विस्तार से उल्लेख किया।
उन्होंने कहा कि बिहार ने समाज के हर वर्ग को साथ लेकर चलने की नीति अपनाई है और आज उसके नतीजे साफ दिखाई दे रहे हैं। महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने का प्रयास भी हमारी सरकार ने 2006 में ही शुरू कर दिया था। हमने 2006 में पंचायत चुनावों में और बाद में शहरी निकायों में 50 प्रतिशत पद महिलाओं के लिए आरक्षित किए। फैसला लिया और तुरंत लागू भी किया। यही वजह है कि आज बिहार में लाखों महिलाएं स्थानीय निकायों में नेतृत्व कर रही हैं।
इसके साथ ही सीएम नीतीश ने बिहार में पुलिस और नौकरी क्षेत्र में महिलाओं के लिए दिए गए आरक्षण को भी ऐतिहासिक बताते हुए कहा, "2013 में हमने पुलिस में महिलाओं के लिए 35 प्रतिशत आरक्षण लागू किया। आज बिहार पुलिस में महिलाओं की संख्या पूरे देश में सबसे अधिक है। 2016 से सरकारी नौकरियों में भी महिलाओं के लिए 35 प्रतिशत आरक्षण लागू किया गया।"
उन्होंने कहा कि महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए 2006 में विश्व बैंक से ऋण लेकर स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) की शुरुआत की गई, जिसका नाम 'जीविका' रखा गया। आज जीविका दीदियों की संख्या बढ़कर 1 करोड़ 40 लाख हो गई है। 2024 से शहरी क्षेत्रों में भी स्वयं सहायता समूह बनाए जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने समाज के सभी वर्गों के विकास की बात करते हुए अल्पसंख्यक समुदाय, खासकर मुस्लिम समाज के लिए किए गए कार्यों का भी उल्लेख किया।
उन्होंने कहा, "हम लोगों ने हर तबके के विकास के लिए काम किया है। मुस्लिम समुदाय के लिए भी काम किया है। मदरसों को सरकारी मान्यता दी गई है और उनके शिक्षकों को सरकारी शिक्षकों के बराबर वेतन दिया जा रहा है।"
नीतीश कुमार ने कहा कि उनकी सरकार का उद्देश्य समाज के कमजोर वर्गों को मुख्यधारा से जोड़ना और सबको समान अवसर उपलब्ध कराना है।
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में महिलाएं, जीविका दीदियां और स्थानीय नागरिक मौजूद थे।
--आईएएनएस
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