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क्या आप भी चाहते हैं शांत और सफल जीवन? तो गरुड़ पुराण के इस वायरल वीडियो में जाने टाइम मैनेजमेंट और डिसिप्लिन के 4 ट्रिक्स 

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जब भी गरुड़ पुराण का नाम लिया जाता है, अधिकतर लोगों के मन में मृत्यु, कर्म और पुनर्जन्म जैसे गूढ़ विषयों की छवि उभरती है। परंतु बहुत कम लोग जानते हैं कि यह पुराण न केवल मृत्यु के बाद के रहस्यों को उजागर करता है, बल्कि जीवन जीने की कला, आत्म-प्रबंधन, और मानसिक संतुलन के कई व्यावहारिक सूत्र भी प्रदान करता है। विशेष रूप से आज के तेज़ रफ्तार जीवन में, जहां समय की कमी, तनाव और आत्म-नियंत्रण की कमी आम बात हो गई है, गरुड़ पुराण से निकाले गए ज्ञान के ये सूत्र अत्यंत उपयोगी हो सकते हैं।

समय प्रबंधन: "कालस्य महिमा"

गरुड़ पुराण में समय को सबसे बड़ा और अटल तत्व माना गया है। इसमें स्पष्ट कहा गया है कि समय कभी किसी का इंतजार नहीं करता, वह सदा गतिशील है। "कालो न यत्र तिष्ठति" – यानी समय ठहरता नहीं है। यह सूक्ति हमें सिखाती है कि समय का सदुपयोग करना ही जीवन की सबसे बड़ी सफलता है। पुराण में यह बताया गया है कि आलस्य ही समय की सबसे बड़ी बर्बादी है। यदि हम अपने प्रत्येक कार्य के लिए एक समय-सीमा निर्धारित कर लें और दिनचर्या को नियमित बना लें, तो कार्य क्षमता और मानसिक स्थिरता दोनों में बढ़ोतरी होती है।

आत्म अनुशासन: "स्वधर्मे स्थितिः श्रेयः"

गरुड़ पुराण बार-बार "स्वधर्म" या अपने कर्तव्यों में स्थित रहने की बात करता है। यह केवल धार्मिक संदर्भ में नहीं बल्कि दैनिक जीवन में भी लागू होता है। आत्म अनुशासन यानी सेल्फ डिसिप्लिन वह मूलभूत गुण है, जो व्यक्ति को लक्ष्य की ओर निरंतर अग्रसर रखता है। पुराण में यह उल्लेख मिलता है कि जो व्यक्ति अपने मन, वाणी और कर्मों पर नियंत्रण रखता है, वही जीवन में सफल होता है। आज जब सोशल मीडिया, मनोरंजन और भौतिक लालसाओं का प्रभाव व्यक्ति के समय और ध्यान पर है, ऐसे में यह अनुशासन आत्म-विकास के लिए अनिवार्य हो जाता है।

मानसिक शांति: "संतोषं परम् सुखम्"

गरुड़ पुराण हमें यह सिखाता है कि मनुष्य की सभी परेशानियों की जड़ उसकी इच्छाएं और अपेक्षाएं हैं। इसमें संतोष को सबसे बड़ा सुख कहा गया है। "संतोषाद् लभ्यते सुखम्" – यानी संतोष से ही सुख प्राप्त होता है। वर्तमान समय में जब व्यक्ति बाहरी दिखावे और प्रतिस्पर्धा में उलझा हुआ है, मानसिक शांति दूर की बात हो गई है। गरुड़ पुराण कहता है कि जो व्यक्ति वर्तमान में जीता है, अपने कर्म करता है और फल की चिंता नहीं करता, वही शांति पा सकता है।

योग और ध्यान: अंतर की ओर यात्रा

हालांकि गरुड़ पुराण मुख्य रूप से कर्म और धर्म आधारित ग्रंथ है, फिर भी इसमें मानसिक और आध्यात्मिक उन्नति के लिए ध्यान, जप और योग को महत्वपूर्ण साधन बताया गया है। "एकाग्रता" को सफलता की कुंजी कहा गया है। ध्यान और साधना से मन को स्थिर कर व्यक्ति नकारात्मक विचारों पर नियंत्रण पा सकता है।

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