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लार सेहत के लिए अमृत, ब्रह्म मुहूर्त में बन जाता है सबसे बड़ा वरदान

नई दिल्ली, 7 दिसंबर (आईएएनएस)। दाग-धब्बे, झाइयों और डार्क सर्कल्स जैसी समस्याओं से निजात पाने के लिए हम न जाने कितने महंगे प्रोडक्ट्स और दवाइयों पर पैसे खर्च करते हैं। लेकिन, क्या आपने सोचा है कि मुंह में बनने वाली लार इन समस्याओं से निजात दिलाने में कारगर है।
लार सेहत के लिए अमृत, ब्रह्म मुहूर्त में बन जाता है सबसे बड़ा वरदान

नई दिल्ली, 7 दिसंबर (आईएएनएस)। दाग-धब्बे, झाइयों और डार्क सर्कल्स जैसी समस्याओं से निजात पाने के लिए हम न जाने कितने महंगे प्रोडक्ट्स और दवाइयों पर पैसे खर्च करते हैं। लेकिन, क्या आपने सोचा है कि मुंह में बनने वाली लार इन समस्याओं से निजात दिलाने में कारगर है।

आयुर्वेदाचार्य के अनुसार, मुंह की लार शरीर की सबसे शक्तिशाली और मुफ्त दवा है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस बासी मुंह की लार को कभी नहीं थूकना चाहिए। इसे निगल लेना चाहिए क्योंकि इसमें शरीर के लिए जरूरी 18 तरह के पोषक तत्व होते हैं, जो मिट्टी में पाए जाते हैं। यह लार पुराने से पुराने घाव, गैंग्रीन, एक्जिमा, सोरायसिस और त्वचा के दाग-धब्बों को भी ठीक कर सकती है।

जो घाव महीनों तक किसी दवा से ठीक नहीं हो रहे हों, उन पर रोज सुबह बासी लार लगाने से असर दिखने लगता है और पूरी तरह ठीक हो सकता है। आंखों के लिए भी यह चमत्कारी है। सुबह की लार आंखों में लगाने से रोशनी बढ़ती है, लाल आंखें 24 घंटे में ठीक हो जाती हैं। आंखों के नीचे काले घेरे भी धीरे-धीरे गायब हो जाते हैं। लेकिन ध्यान रहे, सुबह उठने के 48 मिनट बाद लार की क्षारीयता कम हो जाती है, इसलिए जल्दी लगाना जरूरी है।

अब सवाल उठता है कि किस समय लार लगाना चाहिए? तो बता दें कि सुबह की लार फायदेमंद होती है। खासकर ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 5 बजे के आसपास) में उठते ही जो लार मुंह में होती है, उसे आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा में अमृत की उपाधि मिली है। इसका पीएच लेवल 8.4 तक होता है जो क्षारीय और औषधीय गुणों से भरपूर होता है।

डॉक्टर्स बताते हैं कि आजकल के टूथपेस्ट में मौजूद सोडियम लॉरेल सल्फेट नामक केमिकल लार बनाने वाली ग्रंथियों को नुकसान पहुंचाता है। नीम की दातून चबाना और उस दौरान बनने वाली लार पीना सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है। पान खाने वाले लोगों को सलाह दी जाती है कि वे बिना कत्था, सुपारी और तंबाकू वाला देशी हरा पान खाएं। इसमें सौंफ, अजवाइन, लौंग, इलायची, गुलकंद और चूना मिलाकर खाने से लार को थूकने की जरूरत नहीं पड़ती और यह कफ-पित्त-वात तीनों दोषों को संतुलित करता है।

प्राकृतिक चिकित्सा के जानकारों का कहना है कि लार प्रकृति का दिया सबसे सस्ता और असरदार इलाज है।

--आईएएनएस

एमटी/एबीएम

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