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महाराष्ट्र में जीबीएस से निपटने के लिए केंद्र सरकार कर रही हर संभव मदद : प्रकाश आबिटकर

मुंबई, 4 फरवरी (आईएएनएस)। महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री प्रकाश आबिटकर ने मंगलवार को गिलियन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) बीमारी के बारे में आईएएनएस से खास बातचीत की। इस दौरान उन्होंने लोगों द्वारा जीबीएस की तुलना कोरोना से किए जाने पर अपना विचार रखा और राज्य सरकार की ओर से उठाए गए कदमों की जानकारी दी।
महाराष्ट्र में जीबीएस से निपटने के लिए केंद्र सरकार कर रही हर संभव मदद : प्रकाश आबिटकर

मुंबई, 4 फरवरी (आईएएनएस)। महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री प्रकाश आबिटकर ने मंगलवार को गिलियन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) बीमारी के बारे में आईएएनएस से खास बातचीत की। इस दौरान उन्होंने लोगों द्वारा जीबीएस की तुलना कोरोना से किए जाने पर अपना विचार रखा और राज्य सरकार की ओर से उठाए गए कदमों की जानकारी दी।

स्वास्थ्य मंत्री प्रकाश आबिटकर ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि नौ जनवरी को महाराष्ट्र में जीबीएस के मामलों में अचानक वृद्धि देखी गई। इसके बाद लोगों के बीच डर फैल गया था और इसको कोरोना से जोड़कर देखा जाने लगा था। हालांकि, मैं मीडिया के माध्यम से सभी नागरिकों से यह अपील करता हूं कि इस बीमारी की तुलना कोरोना से न करें। यह एक अलग प्रकार की बीमारी है, जो मुख्यतः इम्यून सिस्टम के कमजोर होने के कारण होती है। इस बीमारी के चलते राज्य में अब तक पांच लोगों की मृत्यु हो चुकी है।

उन्होंने बताया कि इस विषय पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा के साथ हमारी एक बैठक हुई। उन्होंने हमें आश्वासन दिया कि केंद्र सरकार हर संभव सहायता प्रदान करने के लिए तैयार है।

उन्होंने आगे कहा कि जीबीएस के मरीजों की संख्या पुणे में बढ़ी थी, लेकिन हमारी सरकार ने महानगर पालिका और अन्य संबंधित संस्थाओं के साथ मिलकर इस पर नियंत्रण पा ल‍िया। अब मरीजों की संख्या में गिरावट आई है। इसके अलावा, दूषित पानी और बीमारियों के संबंध में सवाल किए जाने पर उन्होंने कहा कि दूषित पानी न केवल जीबीएस, बल्कि अन्य कई बीमारियों का मुख्य कारण है। इस समस्या को सुलझाने के लिए हम एक नया कानून बना रहे हैं, जो पानी की शुद्धता सुनिश्चित करेगा। यह कानून नगर निगम, प्राधिकरणों और अन्य संबंधित विभागों की जिम्मेदारी तय करेगा, ताकि जनता को स्वच्छ पानी मिल सके।

बता दें कि इससे पहले 27 जनवरी को पुणे में जीबीएस के बढ़ते मामलों को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने राज्य में सार्वजनिक स्वास्थ्य हस्तक्षेप और प्रबंधन का समर्थन करने के लिए सात सदस्यीय टीम तैनात की। केंद्र की उच्च स्तरीय टीम में बहु-विषयक विशेषज्ञ शामिल थे। इसका उद्देश्य जीबीएस के संदिग्ध और पुष्ट मामलों में वृद्धि को देखते हुए सार्वजनिक स्वास्थ्य हस्तक्षेप और प्रबंधन स्थापित करने में राज्य के स्वास्थ्य अधिकारियों का समर्थन करना है।

--आईएएनएस

पीएसके/सीबीटी

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