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भारत ज्ञान साझा करने और सीखने की शक्ति दिखाता है : नोबेल फाउंडेशन की कार्यकारी निदेशक

बेंगलुरु, 3 नवंबर (आईएएनएस)। नोबेल फाउंडेशन की कार्यकारी निदेशक हन्ना स्टर्जेन ने सोमवार को कहा कि आज का दिन इस बात का एक बेहतरीन उदाहरण बना कि हम किस प्रकार एक साथ आकर बातचीत कर भविष्य के लिए जरूरी आपसी ज्ञान को साझा कर एक-दूसरे से सीख सकते हैं।
भारत ज्ञान साझा करने और सीखने की शक्ति दिखाता है : नोबेल फाउंडेशन की कार्यकारी निदेशक

बेंगलुरु, 3 नवंबर (आईएएनएस)। नोबेल फाउंडेशन की कार्यकारी निदेशक हन्ना स्टर्जेन ने सोमवार को कहा कि आज का दिन इस बात का एक बेहतरीन उदाहरण बना कि हम किस प्रकार एक साथ आकर बातचीत कर भविष्य के लिए जरूरी आपसी ज्ञान को साझा कर एक-दूसरे से सीख सकते हैं।

इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस (आईआईएससी) में नोबेल प्राइज डायलॉग के साइडलाइन में न्यूज एजेंसी आईएएनएस से बात करते हुए स्टर्जेन ने कहा कि भारतीय छात्रों और शोधकर्ताओं द्वारा दिखाया गया 'उत्साह और जिज्ञासा' सीखने और सहयोग के प्रति भारत की गहरी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

उन्होंने कहा, "जब हम इस तरह की बैठकें आयोजित करते हैं तो हम कई पुरस्कार विजेताओं को एक साथ एक मंच पर लाते हैं। ये सभी पुरस्कार विजेता यहां बातचीत करने और सवालों के जवाब देने के लिए आते हैं।"

स्टर्जेन ने आईएएनएस से कहा, "इस तरह के आयोजन छात्रों, जनता और पुरस्कार विजेताओं के बीच विचारों का आदान-प्रदान करने का माध्यम बनते हैं। यह एक ऐसा महत्वपूर्ण अवसर बन जाता है, जहां सभी को एक-दूसरे से सीखने को मिलता है।"

उन्होंने बेंगलुरु सत्र की सफलता की प्रशंसा करते हुए कहा कि, आज के सेशन में इतने सारे प्रश्न थे कि हम इस चर्चा को और अधिक समय तक जारी रख सकते थे।

उन्होंने उत्सुकता जताते हुए कहा कि मैं कल मुंबई में दर्शकों द्वारा पूछे जाने वाले प्रश्नों को सुनने के लिए तैयार हूं।

स्टर्जेन ने कहा, "मैं मुंबई में ऑडियंस द्वारा कल पूछे जाने वाले सवालों को सुनने के लिए बहुत उत्सुक हूं।"

उन्होंने इस आयोजन को संभव बनाने वाले सहयोग की भी सराहना की और इसे एक बेहतरीन साझेदारी बताया, जो बहुत अच्छी तरह से काम कर रही है।

आईआईएससी बेंगलुरु में नोबेल प्राइज डायलॉग सुबह 10:30 बजे से दोपहर 1:00 बजे तक आयोजित किया गया। इस आयोजन की थीम 'द फ्यूचर वी वांट' रही। एक डबल इवेंट के रूप में यह बेंगलुरु और उसके बाद मुंबई में आयोजित किया जा रहा है।

यह डायलॉग नोबेल प्राइज विजेताओं को जाने-माने विचारकों के साथ लाता है और सभी के लिए जरूरी विचारों और चुनौतियों पर बातचीत करने का अवसर प्रदान करता है। भारत में होने वाले डायलॉग इस बात पर फोकस करेंगे कि नॉलेज, क्रिएटिविटी और युवाओं में निवेश के साथ किस प्रकार एक ऐसी दुनिया को बनाया जाए, जो इंक्लूसिव, सस्टेनेबल और इनोवेशन से भरी हो।

--आईएएनएस

एसकेटी/

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