ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: हिंदू धर्म में पर्व त्योहारों को विशेष महत्व दिया जाता हैं वही छठ पूजा दिवाली के 6 दिनों बाद मनाया जाता हैं यह पव कार्तिक मास की षष्ठी यानी छठवीं तिथि को जाता हैं यह त्योहार नहाए खाए के साथ शुरू होता हैं इस दौरान महिलाएं 36 घटें निर्जला व्रत रखती हैं और छठ मईया और सूर्य की पूजा करती हैं
भारत में यह त्योहार सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में मनाया जाता हैं छठ पूजा संतान की सुख, समृद्धि और लंबी आयु की कामना के लिए मनाया जाता हैं पौराणिक कथा अनुसार छठी मइया भगवान सूर्यदेव की बहन हैं, तो आज हम आपको इसके बारे में बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
छठ पूजा की शुरुआत नहाए खाए से होता हैं इस बार यह दिन 8 नवंबर 2021 को हैं छठ पूजा का दूसरा दिन खरना 9 नवंबर को हैं इस दिन महिलाएं व्रत रहती हैं और रात में प्रसाद के तौर पर खीर खाती हैं छठ पूजा का तीसरा दिन संध्या जल हैं इस बार संध्या जल 10 नवंबर को हैं 11 नवंबर की सुबह 8.25 बजे यह त्योहार समाप्त हो जाएगा। चार दिनों तक चलने वाले इस त्योहार का पहला दिन नहाय खाय होता हैं इस दिन व्रत रखने वाली महिलाएं स्नान करके नए कपड़े पहनकर पूजा करती हैं इसके बाद चना दाल, कद्दू की सब्जी और चावल का प्रसाद ग्रहण करती हैं व्रत रखने वाली महिलाओं के प्रसाद ग्रहण करने के बाद ही परिवार के अय सदस्य भोजन करते हैं।
छठ पूजा के दूसरे दिन खरना होता हैं इस दिन महिलाएं लकड़ी के चूल्हें में गुड़ की खीर बनाकर प्रसाद के तौर पर ग्रहण करती हैं इसके बाद महिलाएं 36 घंटे की निर्जला व्रत रखती हैं कथा अनुसार रखना पूजा के बाद छठी मइया का आगमन हो जाता हैं। छठ पूजा के तीसरे दिन महिलाएं व्रत रखती हैं और दिन में छठ पूजा का प्रसाद बनाती हैं शाम के वक्त नए वस्त्र धारण कर परिवार के साथ तालाब या नदी के किनारे जाकर पूजा करती हैं इसके अलावा नदी या तालाब में खड़े होकर डूबते हुए सूर्य को जल देती है। अंधेरा होने के बाद महिलाएं अपने घर चली जाती हैं।
छठ पूजा के आखिरी दिन महिलाएं भोर के समय जगकर तालाब या नदी के किनारे जाती हैं और पूजा करती हैं सूर्योदय के समय महिलाएं जल देती हैं जल के बाद व्रती महिलाएं सात या ग्यारह बार अपने स्थान पर ही परिक्रमा करती हैं इसके बाद एक दूसरे को प्रसाद देकर महिलाएं अपना व्रत खोलती हैं इस पूरी प्रक्रिया के बाद छठ पूजा का समापन हो जाता हैं।