Rath Saptami 2025 भगवान सूर्य की पूजा में जरूर पढ़ें ये आरती, शीघ्र पूरी होंगी इच्छाएं

ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: सनातन धर्म में कई सारे पर्व मनाए जाते हैं और सभी का अपना महत्व होता है लेकिन रथ सप्तमी को खास बताया गया है इसे माघ सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है इस दिन पूजा पाठ और स्नान दान करना उत्तम होता है। पंचांग के अनुसार माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को रथ सप्तमी का पर्व मनाया जाता है।
इस दिन भक्त भगवान सूर्यदेव को जल अर्पित कर उनकी विधिवत पूजा करते हैं। सभी सप्तमियों में रथ सप्तमी सबसे श्रेष्ठ होती है। इस दिन सूर्यदेव का अवतरण हुआ था। मान्यता है कि रथ सप्तमी के दिन पूजा पाठ करने से करियर कारोबार में तरक्की मिलती है। इस बार रथ सप्तमी का पर्व आज यानी 4 फरवरी को मनाया जा रहा है इस दिन पूजा पाठ के दौरान अगर भक्ति भाव से भगवान सूर्यदेव की आरती पढ़ी जाए तो भगवान जल्दी प्रसन्न होकर कृपा करते हैं और भक्तों की सारी इच्छाएं पूरी कर देते हैं तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं सूर्यदेव की आरती।
भगवान सूर्य की आरती—
ऊँ जय सूर्य भगवान,
जय हो दिनकर भगवान ।
जगत् के नेत्र स्वरूपा,
तुम हो त्रिगुण स्वरूपा ।
धरत सब ही तव ध्यान,
ऊँ जय सूर्य भगवान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
सारथी अरूण हैं प्रभु तुम,
श्वेत कमलधारी ।
तुम चार भुजाधारी ॥
अश्व हैं सात तुम्हारे,
कोटी किरण पसारे ।
तुम हो देव महान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
ऊषाकाल में जब तुम,
उदयाचल आते ।
सब तब दर्शन पाते ॥
फैलाते उजियारा,
जागता तब जग सारा ।
करे सब तब गुणगान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
संध्या में भुवनेश्वर,
अस्ताचल जाते ।
गोधन तब घर आते॥
गोधुली बेला में,
हर घर हर आंगन में ।
हो तव महिमा गान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
देव दनुज नर नारी,
ऋषि मुनिवर भजते ।
आदित्य हृदय जपते ॥
स्त्रोत ये मंगलकारी,
इसकी है रचना न्यारी ।
दे नव जीवनदान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
तुम हो त्रिकाल रचियता,
तुम जग के आधार ।
महिमा तब अपरम्पार ॥
प्राणों का सिंचन करके,
भक्तों को अपने देते ।
बल बृद्धि और ज्ञान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
भूचर जल चर खेचर,
सब के हो प्राण तुम्हीं ।
सब जीवों के प्राण तुम्हीं ॥
वेद पुराण बखाने,
धर्म सभी तुम्हें माने ।
तुम ही सर्व शक्तिमान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
पूजन करती दिशाएं,
पूजे दश दिक्पाल ।
तुम भुवनों के प्रतिपाल ॥
ऋतुएं तुम्हारी दासी,
तुम शाश्वत अविनाशी ।
शुभकारी अंशुमान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
ऊँ जय सूर्य भगवान,
जय हो दिनकर भगवान ।
जगत के नेत्र रूवरूपा,
तुम हो त्रिगुण स्वरूपा ॥
धरत सब ही तव ध्यान,
ऊँ जय सूर्य भगवान ॥