विवाह पंचमी पर होता है अबूझ मुहूर्त, मगर फिर भी नहीं किया जाता विवाह, जानिए कारण
ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: हिंदू धर्म में पर्व त्योहारों को विशेष माना जाता हैं वही प्रभु श्रीराम और माता सीता की शादी की वर्षगांठ के रूप में विवाह पंचमी को सेलिब्रेअ किया जाता हैं हर साल मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ये त्योहार मनाया जाता हैं इस दिन श्रीराम और माता सीता के मंदिरों में तमाम धार्मिक आयोजन किए जाते हैं ये भी मान्यता है कि इसी दिन तुलसीदास ने अपनी रचना रामचरितमानस को पूर्ण किया था।
रामचरितमानस प्रभु श्रीराम और माता सीता को अत्यंत प्रिय हैं इसलिए इस दिन तमाम लोग रामचरितमानस का पाठ करते हैं इससे परिवार में सुख और समृद्धि का वास होता हैं इस बार विवाह पंचमी का पर्व 8 दिसंबर दिन बुधवार को मनाया जाएगा। भृगु संहिता के अनुसार विवाह पंचमी के दिन शादी का अबूझ मुहूर्त होता हैं यानी इस दिन किसी का भी विवाह किया जा सकता हैं लेकिन फिर भी लोग इस शुभ दिन पर विवाह करने से हिचकिचाते हैं तो आज हम आपको इसके पीछे की वजह के बारे में बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
जानिए विवाह पंचमी पर क्यों नहीं होता विवाह—
राम और सीता ने आम जनमानस के बीच एक आदर्श जीवन का उदाहरण प्रस्तुत किया हैं डनहोंने लोगों को जीवन के उच्च मूल्य, प्रेम, समर्पण का पाठ पढ़ाया हैं सीता और राम की जोड़ी को आदर्श जोड़ी माना जाता हैं मगर फिर भी उनके विवाह की तिथि के दिन लोग विवाह करना पसंद नहीं करते हैं इसकी वजह है कि विवाह के बाद श्रीराम और सीता माता के जीवन में ढेरों कष्ट आए थे। दोनों को 14 साल का वनवास झेलना पड़ा। इसके बाद माता सीता को अग्नि परीक्षा से गुजरना पड़ा।
सामाजिक मान्यताओं और अपने निष्पक्ष उसूलों के चलते मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम ने गर्भवती सीता का परित्याग कर दिया। इसके बाद माता सीता को अपना आगे का जीवन वन में गुजारना पड़ा और वहीं रहकर उन्होंने अपने बच्चों का पालन पोषण किया। राम और सीता के वैवाहिक जीवन में इनते संघर्षों को देखते हुए लोग उनके विाह का उत्सव तो मनाते हैं मगर इस दिन अपनी संतान का विवाह नहीं करते, ताकि जो दुख सीता माता और श्रीाम ने झेला है वो कभी उनके बच्चों को न झेलना पड़ें।