ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: हिंदू धर्म में व्रत त्योहारों को बेहद ही खास माना जाता है वही शास्त्रों के अनुसार व्रत और पूजा के नजरिएं से चतुर्थी तिथि का विशेष महत्व होता है यह हर माह में दो बार आती है कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी या गणेश चतुर्थी के नाम से जाना जाता है वही जो चतुर्थी तिथि शुक्ल पक्ष में पड़ती है उसे विनायक चतुर्थी कहा जाता है ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 19 मई दिन गुरुवार को पड़ रही है
इस दिन 2: 57 PM तक साध्य योग है उसके बाद शुभ योग होगा। वही संकष्टी चतुर्थी के दिन चन्द्रमा धनु राशि पर संचार करेगा। और सूर्य राशि वृषभ राशि पर विराजमान होंगे। ऐसे में संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखते हुए भगवान श्री गणेश का पूजन करना अति फलदायी साबित होगा। मान्यता है कि इस दिन भगवान श्री गणेश की पूजा से भक्तों के सारे पाप कट जाते हैं और उनकी सभी मनोकामनाएं भी पूरी होती है।
जानिए संकष्टी चतुर्थी का महत्व—
आपको बता दें कि संकष्टी चतुर्थी का अर्थ होता है संकट को हरने वाली चतुर्थी तिथि। संकष्टी संस्कृत भाषा से लिया गया एक शब्द है जिसका अर्थ होता है कठिन समय से मुक्ति पाना। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान श्री गणेश के पूजन से भक्तों के सभी संकट कष्ट और परेशानियां दूर हो जाती है और जीवन में सुख शांति व समृद्धि का वास होता है भक्तों के सभी कार्य बिना किसी बाधा के पूरे हो जाते है। आपको बता दें कि इस दिन भगवान श्री गणेश के मंदिर में जाकर दूर्वा की 11 या 21 गांठें भगवान को अर्पित करें इससे जल्द ही आपको बिजनेस संबंधी परेशानियों से छुटकारा मिल जाएगा। एकदंत संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान श्री गणेश की प्रतिमा के सामने आसन बिछाकर बैठें और "ॐ गण गणपतये नमः" मंत्र का 108 बार जाप करें ये उपाय आपको हर तरह की बाधाओं से पार कर सकता है।
संकष्टी चतुर्थी की तिथि व नक्षत्र—
कृष्ण पक्ष चतुर्थी तिथि आरंभ— 18 मई 11:37 PM
कृष्ण पक्ष चतुर्थी तिथि समापन— 19 मई 08:24 PM
पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र— 19 मई 05:37 AM –20 मई 03:17 AM
संकष्टी चतुर्थी व्रत पूजन का शुभ काल
चंद्रोदय का समय— रात 10 बजकर 48 मिनट पर
अभिजीत मुहूर्त— 19 मई को 11:56 AM – 12:49 PM
अमृत काल— 19 मई को 10:57 PM – 12:24 AM
ब्रह्म मुहूर्त— 19 मई को 04:12 AM – 05:00 AM